नारी!तुम वीरांगना हो
नारी!तुम वीरांगना हो
तुम नारी हो, तुम वीरांगना हो।
तू शक्ति की प्रतीक है,
तू ही दुर्गा तू ही लक्ष्मी है।
तू ही पार्वती तू ही सरस्वती है,
अब और न तुम इंतजार करो।
महिषासुर का तुम वध करो,
क्योंकि तुम वीरांगना हो!
पत्थर को तोड़ने वाली,
रिश्तों को जोड़ने वाली।
मुसीबतों को हराने वाली,
शक्ति हो तुम नारी हो तुम।
क्योंकि तुम वीरांगना हो!
तुझसे ही सृष्टि है,
तूझसे ही महापुरुष हैं।
तू ही कल्याणी, तू ही संहारी।
तू ही काली, तू ही दुर्गा।
इन गद्दारों का तुम वध करो,
हां महिषासुर का तुम वध करो।
क्योंकि तुम वीरांगना हो!
नारी का जब युग आयेगा,
पृथ्वी पर भी भूचाल आयेगा।
मत भूलें दुनिया,
नारी ही शक्ति है।
नारी ही सृष्टि है,
अब हर नारी दुर्गा है।
अब महिषासुर का तुम वध करोगी,
अब और न तुम इंतजार करोगी।
क्योंकि तुम वीरांगना हो!
तू शक्ति तू दुर्गा है,
तू खुद को पहचान।
तू नारी है, तू शक्ति है।
उम्मीद किसी से न करो,
क्योंकि तुम वीरांगना हो!
तेरे हौसले बुलंद हैं,
तेरे सपने अटल है।
क्योंकि तुम वीरांगना हो!
तूम शक्ति हो, तुम नारी हो।
तुम अपने अस्तित्व को पहचानो,
तुम अपने नारीत्व को मत त्यागो।
क्योंकि तुम वीरांगना हो!