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Chandra Prabha

Children

4.7  

Chandra Prabha

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नन्ही परी

नन्ही परी

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333



तुम किस नंदन वन से आयीं

पारिजात पुष्पों की सुगंध लायीं

किन रहस्य कुंजों से आयीं 

रूप सुषमा का वैभव लेकर आयीं। 


कोमल कोमल मुकुलित मुकुलित

नन्हे नन्हे अधरों से कंपित

स्वर्गीय आभा मंडित मुख कमल तुम्हारा 

स्नेहिल मृदु कोमल स्पर्श तुम्हारा। 


 सुंदर सुंदर कुन्तल राशि

रेशमी सिहरन भर लाई

लगता है परी लोक के पुष्पों से निकल

तुम नन्ही सुकुमार परी चली आयीं। 


मैं चकित निहारती

यह अनुपम रूप छटा

यह कोमल भोला सौंदर्य 

मन प्राण को पुलकित करता। 


तुमने मेरा वात्सल्य जगाया

मेरे सारे आशीर्वाद तुम्हारे लिए

समय ने तुम्हें और निखारा,

शुभ हो जन्मदिन तुम्हारा।


मेरा यह अभिनंदन स्वीकार करो 

नित नूतन आकर्षण लेकर गतिमान बनो। 

सफलता तुम्हारे क़दम चूमे

प्रभु का तुम्हें आशीर्वाद मिले।


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