ओ बेखबर
ओ बेखबर
तुझे खबर भी नही ओ बेखबर
ऐ दिल आज भी तेरे लिए ही धडकता है।
वो सड़क वो गली वो शहर आज भी महकता है।
कि जैसे आज ही गुजर कर गयी उन रास्तों से।
आज भी वो सुबह और शाम महकता है।
ओ बेखबर आज भी ऐ दिल तेरे लिए धडकता है।
गुमसुम रहने की आदत नहीं है मुझे।
पर आज भी तुम उस गुमसुमन दिल की जुबां हो।
जो बस तेरा ख़्वाब और ख्याल लेकर चलता है।
हाँ मैं वही राम हूँ जो आज भी तुझे ही प्यार करता है।
भले ही आज मैं किसी और का हूँ।
पर आज भी इस दिल में तेरा ही नाम बसता है।
तेरी यादें आज भी उस किताब के पन्नो पर है।
जो कहतीं हैं कि तेरा मिलना बिछड़ना सपना नही था।।
इस गम पन्नो की जुबांन चीख चीख कर कहता है।
तुझे खबर भी नहीं ओ बेखबर।
दिल आज भी तेरे लिए ही धड़कता है।