फूल
फूल
फूल हूं मैं पर नहीं उपवन का
सुन्दरता मेरी भी कम नहीं
क्या करूँ बस महक नहीं।
आकर्षण मेरा भी कम नहीं
बस मेरा कोई नाम नहीं ।
क्यों मुझे ईश्वर के चरण स्पर्श
नहीं
क्यों मुझसे होता शृंगार नहीं।
क्यों प्रेम इज़हार में मैं नहीं
जबकि मुझ में कांटे नहीं
क्यों मेरी निगरानी नहीं
क्यों मेरी लालसा नहीं
फ़िर क्यों हूँ मैं इस संसार
में
अगर नहीं वरदान मैं