पिता
पिता
माँ ममत्व की छाया है तो पिता बरगद का साया
परिवार की सभी जिम्मदारियों का बोझ
सदैव अपने कन्धों पर उठाया
अनुशासन की बागडोर से संतान को
जीना सिखाया आत्मबल आत्मविश्वास का
मूलमंत्र आत्मसात कर संतति को
प्रतिक्षण यथार्थ के सम्मुख दृढ़ विश्वास
के साथ जीवन से संघर्ष करने का गुर भी बताया !
बताया कि जीवन में सदैव कर्मयोद्धा की,
तरह जीवन में कर्तव्य निभाओ
न करो फल की चिंता कर्मयोगी बन जाओ !
न करो व्यर्थ की चिंता न भूत का ख्याल लाओ !
मेरे पुत्र पुत्री सदैव वर्तमान को गले लगाओ
और अपने कर्तव्यों से कदापि जी न चुराना!
माँ का सदैव सम्मान करना और स्वपन में
भी कहीं माँ के लिए कोई अपशब्द न मुख में लाना !
सच पिता तुम भीतर से कितने कोमल हो
पर बाहर से तुमने स्वयं को कठोर सा दिखाया
तुमने सदैव हम सब बच्चो को
अपने सद्चरित से
जीवन का महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाया !