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Arunima Thakur

Inspirational

4.8  

Arunima Thakur

Inspirational

प्रश्न

प्रश्न

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आज फिर मेरा एक भाई

तिरंगे में लिपट कर आया था।

उसके आँसुओं से तिरंगा

पूरा भीगा था।

उसने अपनी अश्रु पूरित आँखों से

मुझसे, हमसे एक प्रश्न पूछा

आज यह जो सरकारी संपत्ति,

बसों, ट्रेनों के साथ-साथ 

हमारी बहन बेटियों को भी जलाते हैं।

क्या हम सैनिक सीमा पर 

इनके लिए जान गँवाते हैं ?

हम तो सीमा पर माँ की रक्षा 

माँ की शान के लिए

मस्तक तक कटवा कर आते हैं।

और तुम सभ्य समाज के नामर्दों

एक, एक बहन बेटी की

इज्जत भी बचा नहीं पाते हो।

जब मैं धूप और ठंड के बाद भी

सीमा पर डटा था।

तब तुम्हारे शब्दों में

यह मेरा कर्तव्य था।

तो क्या जब मेरी बेटी ,

मेरी बहन लूट रही थी I

तब उसको बचाना

तुम्हारा कर्तव्य नहीं था।

कफन खोल कर देख लो मेरा,

दुश्मनों की गोली खाकर

भी मुझे कुछ नहीं हुआ था। 

मैं तो अपनों के खंजरों से

दिल में हुए घाव से मरा था।



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