परशुरामजी स्तुति
परशुरामजी स्तुति
वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ,अवतरण
जमदग्नि नंदन ने जीता जीवन का हर रण
जन्म से ब्राह्मण,कर्म से आप प्रभु क्षत्रिय
सहस्रबाहु का तोड़कर घमंड,निभाया प्रण
तेरह बार,घमंडी राजाओं से रहित की,भू
यह जग कहता,श्री हरि भांति आप,हूबहू
धर्म की स्थापना हेतु,शिव जी पाया परशु
कहलाये,आप इस जग में परशुराम प्रभु
करे,सुर,मुनि,मानव सब आपको तो वंदन
परशुरामजी आप तम मिटाते,ऐसे सज्जन
धर्म स्थापना हेतु,आपका हुआ,अवतरण
चिरंजीवी होने से मृत्यु नही कर पाई,वरण
हे परशुरामजी,आप हो कालातीत चंदन
में अज्ञानी साखी आया प्रभु आपकी शरण
दे दो, मुझे भी सत्य पथ पर चलने की लगन
जय हो आपकी,परशुरामजी जमदग्नि नंदन।