प्यारी अम्माँ
प्यारी अम्माँ
अनजान शहर में पहुँच चूका था,
छोड़कर परिवार मैं सारा !
माँ भी बहुत रोई थी उस दिन,
जब घर से दूर पढ़ने आय था !
पहली बार दूर हुआ था सबसे,
सोच था कैसे रह पाऊँगा !
उम्मीद थी फिर कोई माँ
देगी यहाँ भी साथ मेरा !
सच कहा हैं किसी ने
माँ तो आखिर माँ होती हैं
मिल गई थी इस शहर में,
एक प्यारा सी अम्माँ मुझे !
मिला माँ के प्यार के साथ,
प्यारी अम्माँ का उपहार !
जब भी मिलने मैं आता तो,
कहती खालो बेटा तुम कुछ!
मना करने पर भी नहीं मानती,
मगर खिलाती प्यार से डाट कर!
घर पर माँ से बात करवाता,
कहती चिंता मत करो बहन!
जब तकलीफ होती मुझे जब,
तब अम्माँ भी परेशान हो जाती!
यही देख कर आँसू आता,
कैसे फर्ज निभाती हो तुम !
आज काम के चक्कर में
प्यारी अम्माँ से दूर हो गया हूँ मैं !
फिर भी प्यारी अम्माँ कहती हैं
हम ठीक हैं अपना ख्याल रखना बेटे !
नहीं जानता कैसे करूँगा
प्यारी अम्मा का कर्ज अदा!
फिर दिल को समझाता हूँ
कोई नहीं कर सकता माँ का कर्ज अदा !