प्यारी
प्यारी
मैं आनंद दायिनी आँगन में
फूलों सा खिलता हूँ
सुगंध फैलता हूँ।
पंख फैलाकर
उड़ती हूँ
अनंत नील आसमान में
शिकारियों की तीक्षन दृष्टि
मुझ पर है
डर लग रहा है।
बाहर निकलने से डरता हूँ
कब कही से कोई भेड़िया
आ जायेगा
और उठाकर ले जायेगा
यह सोचकर
मुझे डर लगता है।
मैं तुम्हारी सोना बेटी हूँ
कोई भरी बोझ नहीं
तुम्हारी कष्ट की आग को
बुझनेवाली
मैं तो ठंडा पानी हूँ
और तुम्हारी चेहरे की
मुस्कान भी।