रिश्ते सारे बदल गये
रिश्ते सारे बदल गये
ज़रा सी बात थी, और वो रेत से फिसल गये
देखते ही देखते रिश्ते सारे बदल गये
यूँ लगा बैठे वो ज़रा सी बात को दिल से
शाम -ए-मुहब्बत में सूरज से ढल गये
उनकी बेरुखी का आलम भी क्या बताये
माह-ए-जून में वो बर्फ से पिघल गये
मलते थे कभी गुलाल वो मेरे गालों पर
आज ज़िंदगी मेरी वो बेरंग सी कर निकल गये
ज़रा सी बात थी, और वो रेत से फिसल गये
देखते ही देखते रिश्ते सारे बदल गये