साथ चलना है
साथ चलना है
साथ चलना है तो भाई,
ज़बान पर लगाम और व्यवहार में ठहराव चाहिए।
प्रीत निभानी उसको आई,
जो समझा कि क़रीब आने के लिए अलगाव चाहिए।
प्रीत में समझदारी हो तो,
क्या बताना है क्या छुपाना है, यह सीख ढोनी चाहिए।
प्रीत की हरियाली चाहिए तो,
अपनेपन और समर्पण की उपजाऊ बीज बोनी चाहिए।
प्रीत में खुलकर संवाद होता रहे,
कभी ग़लत फ़हमी की दीवार खड़ी नहीं होनी चाहिए।
प्रीत में मन में उमंग जागती रहे,
कभी निराशा और उदासी की नींद नहीं सोनी चाहिए।
प्रीत में उम्मीद हो तो,
एक दूसरे के लिए कुछ करने की नीयत ठीक चाहिए।
प्रीत में शिकायत हो तो,
एक दूसरे से दूरी न करके दोनों और नज़दीक चाहिए।
प्रीत की ख़ासियत चाहिए तो,
एक दूसरे के सपने सच करने की उम्मीद होनी चाहिए।
प्रीत में अहमियत चाहिए तो,
अपने सपने पूरे करने की कोशिश नहीं खोनी चाहिए।
(शुरू की दो पंक्तियाँ प्रसिद्ध कवयित्री मन्नू भंडारी जी की हैं)