शहीद
शहीद
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शहीद कहलाते हैं,
खून की होली हर रोज और गोलियों से खेल जाते हैं,
यूँ ही नहीं हम फौजी कहलाते हैं।
देश पे आये आँच तो अपने खून का मरहम लगाते हैं,
डटे रहते हैं मैदानों में और लड़ जाते हैं आखिरी साँस तक।
यूँ ही नहीं हम शहीद कहलाते हैं।