शीशे का घर !
शीशे का घर !
शीशे का घर है न मेरा,
पत्थर के दुकानदार बहुत हैं
फूल भी बिकते हैं यहाँ पर,
पत्थर के खरीदार बहुत हैं।
लेने की हैसियत नहीं फिर भी,
पत्थर ही लेंगे, कर्जदार बहुत हैं।
एक ही अनार है पूरे बाग में,
उसके लिए बीमार बहुत हैं।
दरारों से भरी हैं दीवारें घर की,
फिर भी उसी से हमको प्यार बहुत है।