“सलाम “
“सलाम “
जबां लबों से सुना था मैंने,
मेरा नाम उनके होंठों पर आया।
उनकी पलकें उठीं, फिर झुकीं
और फिर उनका सलाम आया।।
उनकी नज़रों में छाई थी वो मिठास,
जैसे खुदा ने बनाई हो कोई खास।
वो सलाम था न सिर्फ़ शब्दों का,
बल्कि दिल की गहराई से आया ।
जीवन की धूप-छाँव में जब भटके,
उनके सलाम ने दिल को बहलाया ।
उनकी मीठी बातों ने सुख दिया,
जैसे आसमान से गीला पानी आया।
उनकी नज़रों में छुपा था प्यार,
जो जीवन को बनाता है बेहतर।
उनका सलाम, एक प्यारा सा सन्देश,
जो दिल की गहराइयों में छुपा है बेशक।
उनके सलाम में बसी थी एक अनूठी मिठास,
जो दिल को हमेशा याद आती है बिना आवाज़।
वो अहसास, वो लम्हा, वो नज़रें बोलती थीं,
कुछ खास हो जाता था, जब उनकी बातें आती थीं।
वो मोहब्बत की भावना जो थी उनकी आँखों में,
मेरे नाम के साथ वो सच्चाई साफ थी उनकी बातों में।
उनके सलाम में छिपी थी वो अद्भुत कहानी,
जो सच्ची दोस्ती की मिसाल बन जाती है।
वो नाम सिर्फ़ एक शब्द नहीं,
बल्कि एक अनमोल रिश्ता बन जाता है।
उनके सलाम ने जीवन को सजाया,
मुस्कान और खुशियों की राह दिखाया।
दबी दबी जबां से सुना था मैंने
उनके होंठों पर मेरा नाम आया।
उनकी पलकें उठीं, फिर झुकीं,
धीरे से उनका सलाम आया।
वो देखते थे बेहद प्यार से,
उनके नजरों में था विश्वास।
सलाम का अहसास मिला,
जैसे मिला एक नया साथ।
उनके सलाम से मिला सुकून,
जैसे गलियों में हो सुकून।
वो मीठे लम्हे, वो प्यारी बातें,
जो रहेंगी यादें, हर पल साथ।
उनकी मुस्कान में छुपा था स्नेह,
उनकी बातों में था प्यार का रेह।
सलाम ने दिल को छू लिया था,
वो प्यार और आदर का संदेश लिया था।
वो सलाम नहीं था बस एक अकेला शब्द,
बल्कि उसमें छिपा था एक अनमोल अर्थ।
वो दिल से आया, सीने में छू गया,
उस सलाम ने दिल को सजा दिया।
इस कविता के माध्यम से समर्पित किया है,
उनके सलाम को, जो जीवन को सुंदरता से सजाते हैं।
यह वह संदेश है, जो लिखा है कविता में,
बस, उनके सलाम को स्वीकार कीजिए, खुशियों से भरा हर दिन।