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Hilal Hilal

Inspirational

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Hilal Hilal

Inspirational

थक कर जब शाम को बैठ जाया करो

थक कर जब शाम को बैठ जाया करो

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थक कर जब शाम को बैठ जाया करो

इस ज़िन्दगी के लिए शुक्र-ए-ख़ुदाया करो। 


नहीं मयस्सर बोहोतों को दो जून की रोटी भी

मिले सब को रिज़्क़ दुआ में हाथ उठाया करो। 


है ख़ुदा सब्र करने वाले के साथ हमेशा

सब्र न पड़े तुम पे किसी का, हक़ूक़ अपने निभाया करो। 


हो फ़कीर कोई या कोई बादशाह ही क्यों न हो,

कौन नहीं इस दुनिया मे ग़मज़दा,

हो परेशानी कोई भी ज़िन्दगी में,

उसे इम्तेहान समझ के अपनाया करो। 


क्या रक्खा है बुग्ज़, नफ़रत-खोरी दुश्मनी या लड़ाईयों में,

हो कोई भी तुम से छोटा या बड़ा,

सभी को मोहब्बत से गले लगाया करो।


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