तुझे भूल कर न भूले
तुझे भूल कर न भूले
तुझे भूल कर न भूले, तुझे चाह कर न चाहा
ये सजा मिली है कैसी मुझे कुछ समझ न आया
दुनिया की भीड़ में तो बेशक उलझ गया हूं
तेरा ख्याल दिल से फिर भी निकल न पाया
सोचा निकल मैं जाऊँ तेरी जिंदगी से हमदम
ख्वाबों में आकर तूने, मुझे रात भर जगाया
कैसी ये दिल्लगी है, कैसी है ये मोहब्बत
वादा वफ़ा कर करके, तूने क्यों नहीं निभाया
कितना हसीं सफर था तेरा साथ जब मिला था
तुमसे बिछड़ के दिलबर खुद को भी मैं भुलाया
जिसे जाँ से बढ़कर चाहा उसी ने दिया है धोखा
हँसाया 'नसीब' जिसको, उसने ही क्यों रुलाया