तुम जब आओगी
तुम जब आओगी
तुम जब आओगी कभी
वंदना मेरे आंगना
बसंत का मौसम होगा
पर मैं पतझड़ की तरह
पुष्प बन कर टहनी से
तुम्हारें ऊपर झड़कर
तुम्हारा मस्तक सहलाते
तुम्हारे अधरों को चूमते
जमी पर गिर जाऊंगा
तुम अपने पग से मुझे
कुचलने से पहले
देखकर मुझे उठा लोगी
फिर मुझको देख
निहारकर सिर्फ मुझे चाहोगी
और मेरे आत्मा की प्यार की खुशबूं
तुम्हारे तन में इस कदर
फैल जाएगी कि ना
तुम अपने साथ रखोगी
राजरूपी डब्बे में मुझे
मेरे सूखे पत्ते को
सम्भाला करोगी
रोज देखा करोगी
काश मैं तुम्हें बता पाता
पिछले जन्म में
तुम मेरी प्रेमिका थी अर्धागनी थी।।।।