उस संसार
उस संसार
ले चल मुझको उस संसार प्रिए,
जहाँ मिलता हो बस प्यार प्रिए।
जहाँ भेदभाव न रहता हो,
जहाँ मानव बस सच कहता हो,
गर धूप रहे तो छाव भी हो,
सब पर चलने को पाँव भी हों,
मिलता न हो हथियार प्रिए,
ले चल मुझको उस संसार प्रिए।
जहाँ हरियाली का डेरा हो,
हर दिन नित नया सवेरा हो,
जहाँ बचपन खुलकर जीता हो,
हर कोई सुख में जीता हो,
अब बहुत हुआ अंधकार प्रिए,
ले चल मुझको उस संसार प्रिए।
जहाँ हमारा इक घर हो,
तू मेरी जीवन भर हो,
जहाँ प्यार भरी सब बातें हों,
तुझ संग बीतीं रातें हों,
तुम सोचो तो इक बार प्रिए,
ले चल मुझको उस संसार प्रिए,
जहाँ मिलता हो बस प्यार प्रिए।