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Mihir Upadhyay

Abstract

5.0  

Mihir Upadhyay

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वैसे तो वो अनेकों रंग का रूप है

वैसे तो वो अनेकों रंग का रूप है

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वैसे तो वो अनेको रंग का रूप है,

क्योंकि खिलता हुआ उसका स्वरुप है।

देखके उसको मन संभले वैसी वो अनुप है,

आवाज उतनी सूंदर, जैसे वो गीतों की ऋत है।


अदाकारी बहुत है प्यारी जब ख़्वाब बनकर आए,

मन को मनाना मुश्किल जब नाराज वो हो जाए।

गीतोंसे मनाना आसान गर मुझे समझ में आए,

यादोंसे तो सिर्फ याद आए दिल से कभी न जाए।


समझ में आने वाली इतनी बात आप मेरी मानिए

आठो प्रहर मेरी आँखों को दीदार उसका चाहिए।

गीत अधुरा , संगीत अधुरा वो नही तो कुछ नहीं पुरा,

रहेंगे साथ,जीएंगे साथ, करेंगे जीवन मुक़म्मल सारा।


हर दिन को सजाए त्योहारों से अब वही जीवन का सार है,

खुशिया ही खुशिया आए हमारे हाथ वही तो संसार है।

कही धुँआ कही धुप कही बारिशो का पानी,

छाव, ठण्ड एवं गर्म से चलेगी जिन्दगानी।


वैसे तो वो अनेको रंग का रूप है,

क्योंकि खिलता हुआ उसका स्वरुप है।

देखके उसको मन संभले वैसी वो अनुप है,

आवाज उतनी सुंदर, जैसे वो गीतों की ऋतु है।


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