यात्रा
यात्रा
जीवन की वो पहली यात्रा जब बैठी थी ट्रेन में पहली बार,
ठंडी ठंडी हवाओं से मन हो रहा चंचल सोच रही बैठे बैठे घूम लूं सारा,
ये जहां फिर वही चेहरे पर उदासी छाई कहां ये सब होगा मेरे नसीब आखिर कितना कमा लेती हूं,
न सिर पर किसी की हाथ है न किसी का साथ छोटी सी उम्र में बिछड़ गयी और खुद व खुद संभल गई खुद कुछ काम किया और आज पहली बार ट्रेन की कर रही यात्रा....,
आंखों में उसके अजीब चमक थी,
आखिर अपनी मेहनत की कमाई थी,
जब बैठी थी वो ट्रेन में कुछ अजीब सा एहसास,
कि चाहो तो अकेले भी कर सकते हो मंजिल हासिल,
बस हौसला दृढ़ और हिम्मत हो बरकरार।