ये जीवन जितनी बार मिले
ये जीवन जितनी बार मिले
हरि चरणों मे हो समर्पित
ये जीवन जितनी बार मिले
सेवा-भाव से हो मन प्रेरित
ये जीवन जितनी बार मिले।
जीने का सिद्धान्त यही हो
परोपकार की चाह रहे
तन समर्पित मन समर्पित
इंसानियत बरकरार रहे।
ये जीवन जितनी बार मिले
नाम मिले, मिले दौलत
रहूँ आगे सब पीछे रहें
चलूं आगे सब पीछे रहें।
ऐसा कुत्सित भाव न पले
ये जीवन जितनी बार मिले
मात-पिता गुरु सेवा हो
दीन-दुखी के साथ रहूँ।
मुझे मगर, इस योग्य बनाना
ये जीवन जितनी बार मिले
हो चेतन-जड़ सभी से प्यार
प्रकृति से अपनी करूँ दुलार।
न बहे धरती की आँखों से धार
ये जीवन जितनी बार मिले।