अहम भाव से बाहर नहीं आ पाती स्वंय में स्व को बांधकर स्वंय को खोज नहीं पाती अहम भाव से बाहर नहीं आ पाती स्वंय में स्व को बांधकर स्वंय को खोज नहीं पाती
जीवन के पथरीले-पथ पर राह दिखाया इसने केवल विद्या ही नहीं दी जीवन का पाठ पढ़ाया इसने जीवन के पथरीले-पथ पर राह दिखाया इसने केवल विद्या ही नहीं दी जीवन का पाठ पढ़ाया...
अडिग रहा जीवन में वो, पथ से कभी न विमुख हुआ। अडिग रहा जीवन में वो, पथ से कभी न विमुख हुआ।
आ बैल तू मुझे मार यही कह कर ले लिया अनार आ बैल तू मुझे मार यही कह कर ले लिया अनार
फिर भी रखना होगा ज़मीन पे ही अपने पाँव। फिर भी रखना होगा ज़मीन पे ही अपने पाँव।
वेदना के संग-संग क्रोध भी ज़रूर है असमंजस के साथ पाहन बोझ भरपूर है वेदना के संग-संग क्रोध भी ज़रूर है असमंजस के साथ पाहन बोझ भरपूर है