बहने राखी लिए सूने नैनों से द्वार ताकती रह जाती हैं। बहने राखी लिए सूने नैनों से द्वार ताकती रह जाती हैं।
की क्यों इंसान इतना निष्ठुर हो जाता है, क्यों वो अपने फर्ज़ को भूल जाता है की क्यों इंसान इतना निष्ठुर हो जाता है, क्यों वो अपने फर्ज़ को भूल जाता है
उम्मीद टूटी, भ्रम झूठा, हार गया हर जत्न। मानवता पर अभिशाप यह, विस्मृत हुआ कर्तव्य। उम्मीद टूटी, भ्रम झूठा, हार गया हर जत्न। मानवता पर अभिशाप यह, विस्मृ...
किंतु, सखाय, राक्षसी सम है, नृत्य, उसी की, अभिलाषा किंतु, सखाय, राक्षसी सम है, नृत्य, उसी की, अभिलाषा
बदल गया अर्थ हमारे प्रेम सत्य का बदल गया अर्थ हमारे प्रेम सत्य का
वह दफ्तर से लौटा थका हारा मांदा सा, तलाश सकून की , मां ने परेशान किया । वह दफ्तर से लौटा थका हारा मांदा सा, तलाश सकून की , मां ने परेशान किया ।