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Suman singh

Tragedy

5.0  

Suman singh

Tragedy

आज की इंसानियत

आज की इंसानियत

1 min
210


उस गली से मेरा रोज़ का आना- जाना था ,

सब कुछ मेरा जाना पहचाना था


पर न जाने आज क्यूँ कुछ बदला हुआ सा लगा ,

क्योकि आज वहाँ लोगों की बहुत भीड़ सी लगी थी


उत्सुकतावश हम भी पास जा कर खड़े हो गए ,

पर भीड़ ज्यादा होने पर कुछ देख ना पाये


कोई कह रहा था बेचारा था बहुत प्यारा ,

सुंदर था और था सबका सहारा पर आज ये यहाँ पड़ा है ,


हमने सोचा न जाने कौन है , अगर चोट लगी है तो कोई उठा क्यूँ नहीं रहा

बिन मतलब कोई किसी का नहीं होता शायद किसी ने सच है कहा ,


हमने देखा वो वहाँ खून से लथपथ पड़ा था ,

सारा बदन उसका मिट्टी से सना था ,


शायद किसी ने उसे कुचल डाला , और उसका सिर चकनाचूर था ,

पर शायद उसका हमदर्द उससे दूर था


और थोड़ी देर मे भीड़ वहाँ से छटने लगी ,

मै वह अकेली खड़ी रह गई ,


की क्यों इंसान इतना निष्ठुर हो जाता है,

क्यों वो अपने फर्ज़ को भूल जाता है


ऐसे ही उस गली के कुत्ते की लाश वहाँ पड़ी रही ,

पर किसी ने उसका दाहसंस्कार नहीं किया


ऐसा ही आगे होगा पर तब होगा उसकी जगह एक मानव ,

और तब दूसरा इंसान उसे देखकर ,

यूँ ही निकल जाएगा जैसे वो एक कुत्ता है


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