बलात्कार - एक पुकार तनहा शायर हु बलात्कार - एक पुकार तनहा शायर हु
एक बार माँ पुकार के देखना यही होता है माँ का होना। एक बार माँ पुकार के देखना यही होता है माँ का होना।
नई दिशा ये मांग रही है, फैला कर अपना आंचल, विधि पर निर्भर प्रगति चाक में, कहती कुछ लाओ हल-चल क्यों ज... नई दिशा ये मांग रही है, फैला कर अपना आंचल, विधि पर निर्भर प्रगति चाक में, कहती क...
अन्नपूर्णा मैं भोजन देती प्यासे की तृष्णा बुझाती बूंद बूंद है जीवन मेरा अन्नपूर्णा मैं भोजन देती प्यासे की तृष्णा बुझाती बूंद बूंद है जीवन मेरा
आज जो तुझे बाधित कर रहे कल वही तुझे कोसेंगे। आज जो तुझे बाधित कर रहे कल वही तुझे कोसेंगे।
श्वास भरे हैं तन में जो मुझको आप सम्भालो श्वास भरे हैं तन में जो मुझको आप सम्भालो