कब बनता है एक प्यारा सा गीत तुम्हारा और मेरा अपना। कब बनता है एक प्यारा सा गीत तुम्हारा और मेरा अपना।
क्योंकि आया बसंत है। क्योंकि आया बसंत है।
लोग ज़ख्मों पे मलते नमक हैं यहाँ- इश्क़ में ना करो आजमाइश सनम। लोग ज़ख्मों पे मलते नमक हैं यहाँ- इश्क़ में ना करो आजमाइश सनम।
ख़ुदी मिटा कर दूजों को अपनाती हूँ मैं, फिर भी किसी के ध्यान कभी नहीं आती हूँ मैं। ख़ुदी मिटा कर दूजों को अपनाती हूँ मैं, फिर भी किसी के ध्यान कभी नहीं आती हूँ म...
नदी से तैरते एहसास कलम से कुछ लिखने की प्यास वो नायक का परदेशी रुआब। नदी से तैरते एहसास कलम से कुछ लिखने की प्यास वो नायक का परदेशी रुआब।
काश ना रस्मों रीवाजों का कोई मतलब होता हर बंधन से मैं आजाद होता। काश ना रस्मों रीवाजों का कोई मतलब होता हर बंधन से मैं आजाद होता।