उस का निवास जैसे दिल का जादुई चिराग़ मन में प्रज्वलित होती है मिलन की शीतल आग उस का निवास जैसे दिल का जादुई चिराग़ मन में प्रज्वलित होती है मिलन की शीतल आग
जो छिपाना न पड़े कभी वो बात बनना चाहती हूँ। जो छिपाना न पड़े कभी वो बात बनना चाहती हूँ।
कब क्षीण पड़े शक्ति शत्रु की, इसी चाह में - इसी राह में, गुमसुम सी कहीं गुम सी, चट्टानों के झरोखों स... कब क्षीण पड़े शक्ति शत्रु की, इसी चाह में - इसी राह में, गुमसुम सी कहीं गुम सी, ...
ममता, समर्पण, माधुर्य वही है, परहित में खुद मिट जाती है वो !कोमल तन-मन मगर हौसला, कि वक्त से भी भिड़... ममता, समर्पण, माधुर्य वही है, परहित में खुद मिट जाती है वो !कोमल तन-मन मगर हौसला...
मनुष्य के हमसफ़र बन जाते हैं एक तुम्हारे होने से। मनुष्य के हमसफ़र बन जाते हैं एक तुम्हारे होने से।
सोखा जब सूर्य ने भी नमी, तो वर्षा बन लौट फिर बही मैं। सोखा जब सूर्य ने भी नमी, तो वर्षा बन लौट फिर बही मैं।