आकिब जावेद

Romance

5.0  

आकिब जावेद

Romance

अंजानी चाहत

अंजानी चाहत

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439


"अरे सुनो", इतना कहते ही वह पुकारता है "कौन ?"

मुड़ कर उसका देखना होता है।

"अरे तुम!"

"कहां और यहाँ कैसे ?"

"इतने दिनों बाद इस अंजान शहर में, इतने दिन कहां थी?" इतने सारे प्रश्न वो भी एक साथ पूछ डालता है। तभी वह कहती है, "मेरी तो यहाँ एक सभ्रांत परिवार में शादी हुई है, मैं यही रहती हूं, लेकिन तुम यहाँ क्या कर रहे हो", उस लड़की ने उस लड़के को उत्तर दिया।

राज जो उस लड़के का नाम होता है

वह कहता है की "मैं अपने काम के सिलसिले में यहाँ आया हूँ,' और अचानक तुम पर निगाह पड़ गयी, देखा ये जिंदगी भी किस मोड़ पर किसे दोबारा मिला दे", इतना कहना होता है उस लड़के का तभी लड़की कहती है की "मैं अब चल रही हूँ, मुझे बहुत देर हो रही है, अब मुझे घर चलना चाहिए।"

लड़का उससे और बात करना चाहता था, वह उसे मनाने की और कोशिश करने लगा लेकिन लड़की भी वही पुरानी जिद्दी स्वभाव की, जब ज़िद करती तो और प्यारी लगती, जैसे उस पर सब कुछ न्यौछावर कर उसके लिए सब कुछ भूल जाये, लड़का मान जाता है, और उससे उसका पुनः फ़ोन नंबर मांगता है, लड़की उसको फ़ोन नंबर देती है, आखिर दोनों कॉलेज में पुराने दोस्त थे और काफी दिनों बाद किस्मत से मुलाकात हुई थीलड़का उस लड़की से मिलने के बाद कॉलेज के उन पुराने दिनों को याद करने लगता है, की जब उसने कॉलेज में एडमिशन लिया था, शहर का मशहूर कॉलेज था। किसी का दाख़िला मिलता न था जल्दी, पढ़ने में होशियार होने के कारण उसको दाख़िला मिल गया था, जब दाख़िला लेने कॉलेज गया तभी उसकी मुलाकात उसके ही कॉलेज में पढ़ने वाली लड़की हुमा से होती है। हुमा एक बहुत ही सुंदर, लंबे कद की थोड़ा शर्मीली किस्म की लड़की थी, वह किसी से ज्यादा नहीं बोलती थी,और राज एक तेज़ लड़का थाराज कॉलेज से MBA कर रहा था, और हुमा MA इकोनॉमिक्स की छात्रा थी, दोनों कॉलेज में थे, अपना कॉलेज जाते पढ़ते, लेकिन दोनों एक दूसरे से काफी दिनों तक बातें नहीं की, राज को हुमा पसंद तो थी लेकिन उसने कभी हुमा से कहा नहीं क्योंकि दोनों अलग अलग विभाग के थे, संयोग से कॉलेज में एनुअल फंक्शन होना था, सभी लड़के लड़कियों को इसमें भाग लेना था, सभी विभागों से तभी राज और हुमा बहुत अच्छे दोस्त बन जाते है, रात रात भर सोशल मीडिया, मैसेज ,फोन पर बात होना शुरू हो जाती है, इस तरह उनका कॉलेज में दिन गुजरने शुरू हो जाते है, समय का पता ही नहीं चला की कब दिन गुजर जाते है, और कॉलेज ख़तम हो जाता है, अब हुमा और राज काफी परेशान होते है कि क्या करे राज हुमा को शादी के लिए कहता है, लेकिन हुमा एक मुस्लिम लड़की रहती है, राज एक हिन्दू लड़का रहता है, हुमा और राज के घर वाले इस बात को नहीं मानते है, तभी हुमा की शादी कर दी जाती है ,राज और हुमा बिछड़ जाते हैं, राज की भी नौकरी लग जाती है, तब से अभी हुमा अचानक राज के सामने आयी थी, राज को अपने आँखो पर विश्वास ही नहीं हो रहा था ,की कहीं ये सपना तो नहीं, जिसको अपने मन मंदिर में सजाओ और अचानक आपकी देवी कहीं मंदिर को छोड़ कर चली जाए, फिर जो असहाय पीड़ा मन मंदिर में उठती है, उसका दर्द किसी से नहीं कहा जा सकता है, इसी तरह राज के साथ था। लेकिन राज आज बहुत खुश सा था, उसका इस अंजान शहर में फिर से हुमा से मिलना ख़ुशियों को दोगुना किये जा रहा था। वो रात होते अपने होटल वापस आ जाता है, रात में वो अपने बिस्तर पर लेटे लेटे हुमा की यादों में खोया रहता हैं, की फ़ोन की घंटी बजती वो यादों में खोया हुआ होता हैं, तभी फ़ोन की घंटी दोबारा बजती है, और पूरे कमरे में आवाज़ गूँज सी जाती है, उसका ध्यान अब मोबाइल पर जाता हैं, और वह फ़ोन उठाता हैं, "हेल्लो कौन?" एक मीठी सी आवाज़ वहां से आती है, "हुमा, आप राज बोल रहे है?" हाँ। राज ने उत्तर दिया।

अब राज सोचने लगा जिसके बारे में सोचों और उसका फोन आ जाये तो कितना अच्छा लगता हैं, उधर से हुमा ने कहा -"कहां खो गए??" "अरे कहीं नहीं ", जो सोचो वो न हो पाये, किस्मत की लकीर में आखिर क्या लिखा हैं, राज ये सब सोच रहा था। "मुझे छोड़ कर कहां चली गयी थी, तुम हुमा", राज ने हुमा से पूछा। काफी देर तक बातें चलती रही, हुमा ने राज को खाने पर अपने घर पर बुलाया। "ठीक है आ जाऊँगा" कहकर राज ने फ़ोन काट दिया।। रात भर राज बेचैनियों में रहा, नींद उसके आँखों से उड़ चुकी थी। वह रात भर सोचता रहा, क्या करे ।

अब सुबह वह अपना सारा काम निपटा देता है। और उस अंजान शहर को छोड़ कर वापस अपने शहर के लिए रेलवे स्टेशन चला जाता है।

बिना किसी को कुछ बताये बिना किसी से कुछ कहे। वह उस दर्द को दोबारा नहीं लेना चाहता जिससे वह गुजरा थावह शहर और वो मुलाकात फिर उसके लिए अंजान ही रह जाती हैं।वह अपनी जिंदगी को फिर से उसी तरह जीने लगता हैं।जैसे पहले था।

अंजानी राहो में अनजाने लोग मिल जाते है, मिल कर फिर खो जाते है लेकिन हमेशा वो याद आते है।।



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