अनरोमांटिक
अनरोमांटिक
सुबह से चार बार सुरभि 'फेसबुक' खोल मोनिका की 'प्रोफाइल' 'चेक' कर चुकी थी। क्या शानदार 'प्रीबर्थडे सेलिब्रेशन' किया था उसके पति अमन ने। कौन कहेगा उनकी शादी को दस साल बीत चुके थे।
अमन का अंदाज वही था जो उसने उसकी शादी के पहले साल देखा था।
कितना हंसमुख जिंदादिल मोनिका की बेहद फिक्र करने वाला। किसी भी फंक्शन में उसने मोनिका के इर्द-गिर्द एक रोमांटिक भंवरे की तरह मंडराते देखा था।
कितनी लकी है मोनिका , सोच ही रही थी रश्मि कि एकदम उसे अखिल की तेज आवाज सुनाई दी, "अरे ध्यान कहां है तुम्हारा देखो चाय उबल कर बाहर निकल गई।"
उसने हड़बड़ाहट में चाय उतारी देखा पूरी जल गई थी और उतारने की हड़बड़ाहट में उसके उंगलियां भी।
उंगलियों को जलता देख कर अखिल फौरन उसके पास आया फिर से बर्फ देता हुआ डांटता बोला "सुबह से पता नहीं 'मोबाइल फोन' में क्या करती हो।"
रश्मि की आंखों में आंसू थे इसलिए नहीं कि अखिल डांट रहा था बल्कि इसलिए कि कैसा था अखिल।
अखिल ने उसे और अपने लिए चाय बना कर दी और अपने काम में लग गया।
उसे याद आया कि एक बार मोनिका बीमार पड़ी थी तो कैसे अमन ने 'फ़ेसबुक' पर भी डाला था कि वह कितना परेशान था मोनिका को लेकर और एक यह अखिल उसकी कुछ चिंता ही नहीं करता।
अमन हर मौके पर मोनिका को कुछ ना कुछ गिफ्ट जरूर देता था उसे याद है कि कैसे पिछले न्यू ईयर पार्टी पर सबके सामने उसने मोनिका को कैसे ताजे गुलाबों का 'बुके' दिया था।
और अखिल ने 'बुके' तो क्या एक गुलाब भी दिया हो तो। देगा भी क्यों, है भी तो इतना अनरोमांटिक सोचते ही रश्मि का मन खराब हो गया।
सोच ही रही थी कि मोनिका का फोन आ गया ।अमन ने शाम को उसके जन्मदिन के उपलक्ष में 'पार्टी' रखी थी।
उसे बधाई देकर 'फोन' रख वह छत पर ऊपर कपड़े सुखाने चल पड़ी।
"अरे जरा अपनी उम्र का ख्याल कर इतना वजन उठाया करो देखो तो कितना भारी टब लेकर जा रही हो।" उसके हाथ से टब लगभग छीनते हुए अखिल ने हंसते हुए उससे कहा।
रश्मि का दिल बैठे गया अभी उम्र ही क्या थी उसकी मोनिका से तो छोटी ही थी।
शाम को उसे और अखिल को 'फैमिली फंक्शन' में जाना था तो वह लोग मोनिका की बर्थडे पार्टी में शामिल नहीं हो सकते थे ,यही सोचकर अनमने भाव से वह अपना काम निपटा मोनिका को बधाई देने उसके घर जाने लगी।
अखिल ने कहा था वह उसे छोड़ देगा ।
बाइक पर बैठते ही उसने जैसे ही हाथ अखिल के कंधे पर रखा तो उसे याद आया अखिल को ऐसे बाजार में उसका हाथ रखना पसंद नहीं था।
और आज उसका मन वैसे भी अखिल से कसैला था उसने झट से अपना हाथ वापस खींच लिया। अखिल ने उसका गुस्सा महसूस करा था। वह कुछ नहीं बोला।
मोनिका के घर की 'बेल' बजाने ही वाली थी रश्मि कि अंदर से कुछ सामान गिरने की आवाज आई।
और फिर अमन की तेज आवाज ने दोनों को अचंभित कर दिया।
अमन का तेज साफ-साफ सुनाई दे रहा था, "कितनी बार कहा है तुम जरा सलीके से रहा करो बिल्कुल फूहड़ हो तुम। कितना बकबास खाना बनाया है। मैं ना बताऊं तो कुछ भी ऐसा वैसा पहनकर बाहर चल दो। अगर आज की पार्टी में कुछ गलत हो गया तो मुझसे बुरा कुछ नहीं होगा।"
अंदर जाने पर साफ पता चल रहा था कि अमन ने मोनिका पर हाथ उठाया था।खाना ज़मीन पर बिखरा हुआ था।
उन्हें देखकर वह बहुत संयत हो बात संभालकर मोनिका से बोला," अरे थाली कैसे गिर गयी।मुझसे क्या पूछती हो, तुम पर सब कपड़े खिलते हैं जो चाहे पहन लो।"
मोनिका का उदास चेहरा साफ दिखा रहा था कि वह समझ गई थी कि रश्मि ने सब सुन लिया था।
उसे गिफ्ट दे रश्मि जल्दी ही घर से बाहर निकल आई।
बाहर बाइक पर उसने बैठते ही अखिल के कंधे पर हाथ रखा।
अखिल कुछ कहने ही वाला फिर कुछ सोचकर चुप हो गया और मुस्कुराने लगा।
और रश्मि वह तो मगन अपने अनरोमांटिक पति के साथ बाइक की सवारी का आनंद ले रही थी।