हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Crime Thriller

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Crime Thriller

ब्लैक रोज

ब्लैक रोज

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भाग 2 

रश्मि का रो रोकर बुरा हाल हो रहा था । उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि रोहन अब इस दुनिया में नहीं है । रोहन के लिए उसने अपने घरवालों को भी छोड़ दिया था, वही रोहन आज उसे बीच मंझधार में छोड़कर चला गया । और वह भी इस तरह ? कितनी निर्दयता से मारा है किसी ने उसको ? हत्यारा कितना क्रूर होगा, यह रोहन की लाश देखकर कोई भी बता सकता है । पर रोहन को किसी ने मारा क्यों ? इसका जवाब रश्मि के पास नहीं था । ये "ब्लैक रोज" का क्या राज है ? और सफेद कागजपर ये "आमीन" क्यों लिखा है ? ऐसे कितने ही प्रश्न थे जो रश्मि के मन में उठ रहे थे । उसे धीरज बंधाने वाला वहां कोई भी नहीं था । घर से भागकर शादी करने वाली लड़कियां मंझधार में फंसने वाली नाव की तरह होती हैं जिनका मांझी के अतिरिक्त और कोई सहारा नहीं होता है । और यदि मांझी को ही कुछ हो जाये तो ऐसी नाव का डूबना तय है । अब रश्मि का क्या होगा, भगवान ही जाने । 


इंस्पेक्टर विकास अपने काम में लग गया । लाश के फोटोग्राफ्स लेना , एफ एस एल की टीम को बुलवाना , लाश का पोस्टमॉर्टम करने के लिए ऐंबुलेंस को बुलवाना आदि आदि । पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर विकास की बहुत अच्छी छवि थी । वह अपना काम पूरी मुस्तैदी से करता था । उसने रश्मि से पूछताछ प्रारंभ कर दी 

"क्या आपका कोई दुश्मन है" ? 

"नहीं" रश्मि सुबकते हुए बोली 

"रोहन क्या करता था" ? 

"पुरानी कार खरीद कर बेचा करता था" 

"क्या रोहन का किसी और लड़की से कोई .. मेरा मतलब है कि क्या उसकी जिंदगी में कोई और भी लड़की थी" ? 

"मुझे पता नहीं है । मेरी जानकारी में नहीं है" 

"कोई झगड़ा हुआ हो किसी का उसके साथ" ? 

"नहीं, रोहन बहुत 'कूल'

 था । वह झगड़ा करना जानता ही नहीं था" 

"उसका मोबाइल कहां है" ? 

"मुझे नहीं पता" 

"वह घर से कब का निकला था" ? 

"सुबह लगभग 11 बजे" 

"उससे आपकी आखिरी बार बात कब हुई थी" 

"यही कोई रात आठ बजे के आसपास" 

"उससे क्या बात हुई थी आपकी" ? 

"मैंने कहा था कि आते समय सब्जी और फल ले आना । बस इतनी ही बात हुई थी" । 


इंस्पेक्टर विकास को रश्मि से ऐसी कोई खास जानकारी नहीं मिली थी जिससे वह जांच को आगे बढाता । रात काफी हो गई थी । वह अपना काम समाप्त करके घर आ गया और सो गया । अगले दिन नियत समय पर वह ऑफिस आ गया । ऑफिस में उसके लिए डी सी पी साहब का मैसेज था कि वह तुरंत जाकर उनसे मिले । विकास तुरंत डीसीपी साहब से मिलने उनके ऑफिस पहुंच गया । 

"गुड मॉर्निंग सर" विकास ने एक शानदार सैल्यूट ठोकते हुए कहा । 

"गुड मॉर्निंग । आओ विकास, कैसे हो" ? 

"फाइन सर । आपने याद किया सर" ? 

"हां, मैंने सुना है कि कल रात तुम्हारे इलाके में एक कत्ल हुआ है" ? 

"यस सर । कल रात रोहन नाम के एक लड़के का उसके ही गैराज में कत्ल हुआ था" 

"क्या वहां कोई "ब्लैक रोज" भी था" ? 

"यस सर, लाश के ऊपर ब्लैक रोज रखा था और उसके नीचे एक कागज रखा था जिस पर "आमीन" लिखा हुआ था । 

"हूं" । कुछ सोचते हुए डीसीपी ने कहा । "अभी कुछ दिनों पहले पवई थाना क्षेत्र में भी एक कत्ल हुआ था । उस लाश के ऊपर भी "ब्लैक रोज" पड़ा हुआ था और "आमीन" लिखा हुआ एक कागज भी मिला था । यहां भी ऐसा ही कुछ है । ऐसा लगता है जैसे दोनों हत्याओं में कुछ कुछ समानताऐं हैं । मुझे तो लगता है कि दोनों का हत्यारा एक ही व्यक्ति है । तुम्हारा क्या खयाल है विकास" ? डीसीपी साहब बोले । 


"आप दुरुस्त फरमाते हैं सर । हो सकता है कि दोनों का कातिल एक ही व्यक्ति हो । क्या मैं पवई थाने वाली वह फाइल देख सकता हूं" ? विकास ने उत्साह दिखाते हुए कहा । 

"स्योर ! वह केस इंस्पेक्टर अंजलि के पास है , तुम उससे डिस्कस कर लेना । मैं चाहता हूं कि ये दोनों केस जल्दी सॉल्व हो जायें और इस "ब्लैक रोज" का जल्दी से जल्दी भांडा फूट जाये । इससे पहले कि यह और कोई मर्डर करे, यह हत्यारा जेल में बंद होना चाहिए । अंडरस्टैण्ड" ? 

"बैटर सर" 

"नाऊ, यू मे गो" । 

"थैंक्स सर । जय हिन्द" । विकास सैल्यूट करते हुए बोला 

"जय हिंद" । 


विकास अब इंस्पेक्टर अंजलि के बारे में सोचने लगा । दोनों एक साथ पुलिस विभाग में आये थे । अंजलि उसकी बैचमेट है पर वह उससे जूनियर है । बड़ी तेज तर्रार लड़की है अंजलि । खाने को दौड़ती है हरदम । सीधे मुंह तो बात ही नहीं करती है । एक तो लड़की , ऊपर से ऐश्वर्या राय जैसा सौन्दर्य । और साथ में वह एक पुलिस ऑफिसर है । किसी लड़की का दिमाग सातवें आसमान पर होने के लिए इतना काफी नहीं है क्या ? वह नीचे तो कभी देखती ही नहीं , सदैव ऊपर ही देखती है । ऐसी लड़की पुलिस विभाग में मिलती ही कितनी हैं ? पता नहीं उसने पुलिस की नौकरी क्यों चुनी ? उसे तो फिल्मों में होना चाहिए था । यदि वह बॉलीवुड में होती तो अच्छी अच्छी हीरोइनों को पानी पिला देती अब तक । दीपिका वगैरह तो कहीं टिकती ही नहीं हैं उसके सामने । सारे पुलिस वाले उससे खौफ खाते हैं । बहुत सारे आई पी एस को तो खूब मजा चखा चुकी है वह । IPS की कमजोरी सुन्दर लड़की और पैसा दोनों ही होती हैं । यदि कोई 'ब्यूटी क्वीन' किसी IPS के मातहत काम करे तो उस IPS की बाछें खिल जाती है और वह अपनी मातहतों को अपनी "जागीर" समझ लेता है । मगर अंजलि ने ऐसे "छैला बाबुओं" का वो हाल किया है कि उन्होंने अंजलि से तौबा ही कर ली है । इन सबसे अंजलि में घमंड आ गया और अब वह किसी से सीधे मुंह बात करना भी पसंद नहीं करती है । लेकिन जब बॉस ने कहा है तो उससे मिलना ही पड़ेगा । उसके पास कोई विकल्प नहीं है । फोन तो वह पिक करती नहीं है किसी का, सिवाय बॉस के । 


विकास अंजलि के दफ्तर में पहुंच गया । इंस्पेक्टर विकास को देखकर अर्दली ने एक जोरदार सैल्यूट ठोका और उसे अंदर जाने दिया । 

"हैलो अंजलि , कैसी हो" ? 

"अरे, विकास सर आप ! आज कैसे तकलीफ की सर ? मुझे बोल दिया होता , मैं आ जाती आपके पास" । अंजलि उसका स्वागत करते हुए औपचारिकता निभाते हुए बोली । उसने अपने अर्दली को आवाज लगाई तो वह दौड़ा दौड़ा आया । "रिछपाल , साहब को एक बढिया सी कड़क चाय पिलवाओ । और हां, चाय तुरंत आ जानी चाहिए" । अंजलि ने आंखें तरेरते हुए कहा । 

"जी मैडम जी" । बेचारा अर्दली ! दिन भर अंजलि की डांट सुनता रहता था इसलिए उसकी आंखों का इशारा भी समझ लेता था । 


"और सुनाओ सर , क्या चल रहा है आजकल" ? अंजलि विकास की ओर देखकर बोली 

"आज डीसीपी साहब ने बुलवाया था । तुम्हारी बहुत तारीफ कर रहे थे । पता नहीं क्या जादू कर दिया है तुमने कि वे तुम्हारी प्रशंसा करते थक ही नहीं रहे थे । कह रहे थे कि अंजलि इज द बेस्ट ऑफीसर । मुझे कहा कि अंजलि से सीखो काम कैसे किया जाता है । मुझे बहुत अच्छा लगा कि आखिर मेरी बैचमेट की तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं । अपने किसी बैचमेट की इतनी तारीफ सुनकर हर किसी का सिर गर्व से उठ जाता है । आज मेरा सिर भी हिमालय से ऊंचा हो रहा है । क्यों क्या खयाल है आपका , अंजलि" ? 


डीसीपी साहब के मुंह से अपनी तारीफें सुनकर अंजलि फूली नहीं समाई । उसके मन के भाव उसके चेहरे से प्रकट हो रहे थे । जब विकास उसके चैंबर में आया था तब उसके होंठ तो मुस्कुरा रहे थे पर उसके चेहरे के भाव कुछ अलग भाषा बोल रहे थे जैसे कह रहा हो "ये क्यों आ गया साला यहां ? मेरे दो घंटे खराब करके जाएगा अब" । विकास को मन की भाषा पढना बहुत अच्छी तरह आता है । पर अब अंजलि के मन के भाव बदल गए थे । जिस व्यक्ति में लोगों का दिल जीतने का हुनर हो , वही उसके दिल पर भी राज करता है । अंजलि कहने लगी 

"सर, ये डीसीपी साहब की जर्रानवाजी है । दरअसल साहब हैं ही इतने भले कि उन्हें हर कोई भला व्यक्ति लगता है । और क्या कह रहे थे साहब मेरे बारे में" ? 


विकास सोचने लगा "अंजलि का मन अपनी प्रशंसा से अभी शायद भरा नहीं है । तभी तो वह अपना प्रशस्ति गान और सुनना चाहती है" । विकास तो इस कला में पूरा माहिर खिलाड़ी है । उसकी उम्मीदों को पूरा करता हुआ वह बोला "साहब कह रहे थे कि तुमने 'ब्लैक रोज' वाली फाइल में बहुत बढिया काम किया है । साहब ने मुझे वह फाइल देखने और तुमसे टिप्स लेने के लिए कहा है" । विकास जानता था कि अंजलि से इसी तरीके से फाइल निकलवा सकता है वह अन्य कोई रास्ता नहीं है । उसके सौन्दर्य की तारीफ करने से वह चिढ जाती है क्योंकि उसके हुस्न की तारीफ तो हर कोई करता रहता है । इससे वह अब इर्रिटेट होने लगी थी । 


विकास का तीर सही निशाने पर जाकर लगा था । अंजलि की आंखों में चमक और उसके होठों की मुस्कान बता रही थी कि उसे इन बातों में कितना मजा आ रहा था वरना तो वह पांच मिनट से ज्यादा देर तक बैठाती नहीं है किसी को अपने पास । अंजलि सोच रही थी "अपने सीनियर को टिप्स देने का आनंद ही कुछ और है । मगर उसने उस फाइल में कोई काम तो किया ही नहीं है अब तक ? पर ये बात उसके अलावा और कौन जानता है ? सरकारी नौकरी का उसूल है कि चाहे काम रत्ती भर भी मत करो मगर अपने बॉस के सामने ऐसा प्रदर्शन करो कि उसे एक मिनट की भी फुर्सत नहीं मिलती है । काम किसी और से करवाओ और बॉस के सामने अपने काम का ढ़िढ़ोरा पीटो । बस, सफलता का यही राज है" । 


वह विकास से कहने लगी "सर फाइल बहुत सीक्रेट है इसलिए मैंने फाइल में कोई डॉक्यूमेंट नहीं लगाया है । उन्हें अलग से एक जगह पर संभाल के रख रखा है । आप ये फाइल पढ़ लो और यदि कुछ पूछना हो तो मुझसे पूछ लेना" । 


विकास का चेहरा खिल गया । आखिर वह अंजलि से फाइल हथियाने में कामयाब हो ही गया था । 


क्रमश: 



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