Kanchan Prabha

Children Stories Inspirational

4.7  

Kanchan Prabha

Children Stories Inspirational

बुद्धिमान नाई

बुद्धिमान नाई

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वंशिका मैम - -- "आओ आओ बच्चों मैं आज तुमलोगों को एक कहानी सुनाती हूँ।" 


वेदिका - -- "कौन सी कहानी मैम?" 


मैम ---- "एक दयालु , न्यायप्रिय राजा और बुद्धिमान नाई की कहानी।  सुनोगे बच्चों ?"


सभी बच्चे -  "जी... ई ई मैम !"

मैम - "अच्छा तो सुनो..........


एक राजा था जिसका नाम सुन्दर सेन था

वो काफी दयालु और न्यायप्रिय राजा था । अपने राज्य की जनता का काफी ख्याल रखता था। सारे राज्य में चारों तरफ खुशहाली थी। 

एक दिन बगीचे में बैठ राजा का नाई (धर्मा) राजा की दाढ़ी मूँछे बना रहा था तभी राजा की नजर सामने पेड़ के नीचे पड़े हुये सोने की अँगूठी पर पड़ी । वो नाई से बोला - धर्मा देखो तो वहाँ क्या पड़ा हुआ है। 

नाई जा कर वो अँगूठी लेकर आ गया। तभी वहाँ बगीचे का माली दौड़ता आया और बोला ----" महाराज महाराज ये सोने की अँगूठी मेरी है। आज ही जब मै तालाब में स्नान कर रहा था तो एक कौवा इसे किनारे से ले कर उड़ गया था। अभी जब नाई को इसे उठा कर ले जाते देखा तो मैं दौड़ा आया।


 तभी एक बुढ़िया भी वहाँ आई और बोली---- नहीं नहींं महाराज ये अँगूठी मेरी बेटी मंजू की है आज सुबह जब वो गूड़ बेच कर लौट रही थी तभी शायद ये गिर गया होगा । ये मेरी माँ की आखिरी निशानी है जिसे मैंने अपनी बेटी को दिया था। 

दोनों की बातें सुन राजा सोच में पड़ गया।

ये देख कर नाई समझ गया कि शायद राजा को समझ नही आ रहा है कि क्या करे तो वहनाई राजा के कान मे कुछ फुसफुसाकर कहा।

          तो राजा ने उस माली और बुढ़िया दोनों को दो दिनों के बाद दरबार में बुलाया और कहा कि वहीं इसका फैसला होगा कि ये अंगुठी किसकी है?

दोनों राजी हो गये। 


दो दिन बाद वो समय भी आ गया जब फ़ैसला होना था। राजा का दरबार सज गया।दोनों फरियादी भी आ गये। नाई भी दरबार में ही था। 


तभी राजा बोला- ये सोने की अँगूठी किसकी है ये पता चल चुका है। मेरी ये गुजारिश है कि अभी भी ये जिसकी अँगूठी नहीं है वो खुद कबुल कर ले तो अच्छा है नहीं तो उसे सजा मिल सकती है।

लेकिन दोनों में किसी ने भी ये नही कबुल किया कि ये अँगूठी उसकी नही है।


अब राजा ने नाई की तरफ इशारा किया नाई पहले राजा को प्रणाम किया और बोला- --महाराज ये अंगूठी किसकी है ये तो मुझे उसी दिन पता चल गया था लेकिन मैं पूरी तरह सेआश्वस्त होना चाह रहा था इसी लिये मैने दो दिनों का समय लिया। इन दो दिनों में मैने दोनो पर नजर रखी और मेरा जो शक था वो यकिन में बदल गया कि ये अंगूठी बुढ़ी माता की बेटी मंजू की ही हैं और माली झूठ बोल रहा है।

   

राजा ने आश्चर्य से पुछा - कैसे पता चला तुम्हे ? 


  नाई ने कहा - महाराज उस दिन जब बगीचा में आपने मुझसे पेड़ के नीचे से अंगूठी लाने को कहा तो मैने देखा की उस अंगूठी पर काफी मक्खियाँ भिनक रही है। और जब बुढ़ी माता ने कहा कि उसकी बेटी गूड़ बेचती है तो मैं समझ गया था कि गूड़ के कारण ही अंगूठी पर मक्खियाँ भिनक रही है।

साथ ही दोनों दिन मै इनके घर के आस-पास घुमा तो माली को अपनी पत्नी से ये कहते सुना कि " मै जल्द ही तुम्हारे लिये सोने की अँगूठी लाने वाला हूँ।"

अगर माली के पास पहले से सोने की अंगूठी रहती तो उसकी पत्नी को तो पता ही होता और फिर बूढ़ी माता भी अपनी बेटी को कह रही थी कि " मन्जू तुने अपनी नानी की आखिरी निशानी खो दिया अब मेरे पास मेरी माँ की कोई चीज नहीं बची। 


नाई की बुद्धिमानी देख दरबार में सब दंग रह गये। 

राजा ने नाई को पुरस्कार और स्वर्ण मुद्राएं दी। मंजू को अपने साही रसोई में काम दे दिया और माली को झूठ बोलने के लिये दो वर्षों की कारावास की सजा मिली।                                          

बच्चों कैसी लगी कहानी? 

सभी बच्चों ने ताली बजाई और कहा--- बहुत बढ़िया मैम नाई तो बहुत बुद्धिमान था।

        


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