Deepak Shiralkar

Inspirational

4.5  

Deepak Shiralkar

Inspirational

" गृहिणी "

" गृहिणी "

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आज सुबह सुबह अचानक मेरा बहुत पुराना मित्र मेरे घर मुझसे मिलने आया,और भौचक्का होकर मेरी

और देखता रहा,"भाई सब खैरियत तो है?क्या भाभी मैके गई है क्या?कोई झगड़ा-बिगड़ा तो नही हुआ तुम्हारे में? ये क्या हाल बना लिया है भाई?" मेरे हाथ मे झाड़ू देखकर हंसने लगा

"तुझसे ये सब भी करवाती है क्या भाभी?"

"अबे गधे क्या आते से प्रश्नों की झड़ी लगा दी ।अपने घर मे झाड़ू लगाना क्या गुनाह है क्या ?"तुम्हारे जैसे लोगो ने गृहस्थी की परिभाषा ही बदल दी। घर मे बीबी लाए हो या नोकरानी? बचपन से हमारे माँ बाबूजी ने जो संस्कार दिए है,वो आज भी कायम है। और वही संस्कार हमारे बच्चों में भी आए है।अपने घर के काम करना क्या गुनाह है!

" तेरी भाभी नहाने गई है,मैं तेरे लिए चाय रखता हूँ ।"

"रहने दे भाई,तेरे हाथ की चाय पीकर मुझे अपना दिन खराब नही करना है।"

" तू क्या समझता है,मुझे चाय-वाय बनाते नही आती है? मैं सारा खाना भी बना लेता हूँ। हमारे यहाँ सब को सभी काम आते है,और करने की आदत भी है। हमने भगवान को साक्षी रखकर सात फेरे लिए ,एक दूसरे के सुख-दुख में बराबरी के साथी रहेंगे,ऐसी कसम भी खाई है। बीवी घर की लक्ष्मी होती है। उसने कोई ठेका नही लिया है सारे कामो का? हमारे घर मे जिसकी नजर में जो काम दिखे उसने उसे और किसी को आदेश ना देकर खुद से ही पूरे करने

पड़ते है।

बैठ भाई मैं चाय बनाता हूँ,तेरी भाभी भी नहाकर आएगी तो उसे भी गरमा गरम चाय मिल जाएगी । फिर उसे पुजा कर के एक कार्यक्रम में भी जाना है।"

" तुझे ऐसा नही लगता है,के तू पुरा भाभी का गुलाम हो गया है?"

" मित्र यह घटियां सोच बदलो । ईट दीवार गारे मिट्टी से घर नही बनाता है। घर बनता है,अच्छी सोच,

अच्छे संस्कार,अच्छा आचरण,घर पधारे अतिथि एवं

अपने बड़े बुजुर्गों का सम्मान करना,एकदूसरे को समझना,समझाना,हरेक से राय मशवरा कर बड़े निर्णय लेना,बच्चों को अच्छी शिक्षा-दीक्षा देना,अपने घर के काम मिलबांटकर सभी ने करना,सभी को सारे

काम की आदत हो जाना। यह सारे गुण जहाँ मौजुद है वह एक आदर्श घर होता है। तुम्हारे जैसे लोगो ने बीवियों को गुलाम समझ रखा है। तुम्हे पानी भी पीना होता है तो घर की महिलाओं को आदेश करते हो,हमारे यहाँ सब अपने हाथों से ले लेते है। ऑफिस जाओ तो मेरा पर्स कहां है,रुमाल कहा है,मोजे कहा है,मेरे जुते में पॉलिश क्यो नही करी। इत्यादि सारे काम खुद करलेंगे तो क्या छोटे हो जाओगे ? जिस घर मे संवाद हीनता होगी उस घर मे सुमति नही तो कुमति राज करेगी।वहां बरकत नही होगी,शांति नही होगी,धन की कमी होगी,बीमारियो का साम्राज्य होगा,और कभी भी समाधान नही होगा। यदि तुम्हारे घर भी ऐसा ही सब कुछ हो रहा होगा तो परिवर्तन लाने की कोशिश करो। पत्नी याने भावना है,विवेक है,संयम है,संस्कृति है, पत्नी ही क्यो हर स्त्री देवी लक्ष्मी-सरस्वती है।

जैसा तुम समझो वैसा रूप उसमें दिखेगा। हमेशा सम्मान दो तो सम्मान भी मिलेगा । इसीलिये कहता हूँ ये घर हमारे अकेले का न होकर सब का है,मिलबांट कर काम भी सभी को करना चाहिये । भाई मेरे घर और धर्मशाला में अंतर समझो!"

" अच्छा हुआ आज तुने इस स्थिति में मुझे देख लिया वरना यह विषय भी कभी हमारे बीच मे नही होता ।

बुरा मत मानना मेरे दोस्त ,तुम्हारी भावना कहीं आहत करने का मकसद नही था । हा पर एकबार मेरी बातों पर गंभीरता से विचार अवश्य करना ।

आज महिलाएं हमसे कहीं आगे निकल रही है,उन्हें हमारे जैसे सोच के लोग मिल जाएंगे तो वे अपने घर औरसमाज तथा राष्ट्र के लिए बहुत कुछ कर सकती है। उनमें हमसे ज्यादा क्षमता,सहनशीलता,बुध्दिमत्ता होती है। उनको सहयोग करना,उनकी तारीफ करना उनका हौसला बढाना हमारा कर्तव्य कभी भी मत भूलना । 


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