सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

4.7  

सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

मांझी की हिम्मत

मांझी की हिम्मत

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दिल में हो लगन और हो हौसला,

तो कीचड़ में भी फूल खिलेगा,

तू महकेगा और तेरा समाज भी महकेगाII 


सभ्यता और संस्कृति के पोषक माने जाने वाले आदिवासी समाज के गांव में महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए कोई साधन या कोई मदद करने वाला नहीं थाI उस समाज में मांझी ने कैसे साधन जुटाए कैसे लोगों की मदद कीI

बात बहुत पुरानी हैI झीरम गाँव जहाँ नक्सलियों का राज थाI मांझी अपने दो बच्चों ताकि और सुजन के साथ अकेली रहती थीI मांझी का पति बहुत शराब पीता थाI और शराब पी कर मांझी के साथ मारपीट करता थाI मांझी खेती –बाड़ी कर किसी तरह घर चला लेती थीI एक दिन खबर आई उसका पति को ट्रक के कुचल दियाI जब तक उसका इलाज हो पाता उसकी मृत्यु हो चुकी थीI अब ताकि और सुजल के अलावा इस दुनिया में उसका कोई नहीं थाI झीरम गाँव के बच्चे पढ़ने के स्थान पर नक्सलियों से चोरी चकारी करना सीखते थेI मांझी को अपने बच्चों की बहुत चिंता रहती थीI उसका एक ही सपना था कि उसके बच्चे पढ़-लिख कर बहुत अच्छा काम करेI मांझी ने उनकी शिक्षा के लिए दूर के एक गाँव के विद्यालय में उनका दाखिला करवा दियाI गाँव के बाकी लोगों को यह सब पसंद नहीं आयाI सबने मांझी से कहा पति तो है नहीं इतना बच्चों को अकेले कैसे पढ़ा पायेगीI इससे अच्छा तो इन दोनों को खेती का काम सिखा कर यहीं लगा देतीI फ़ालतू में इतनी भाग –दौड़ करती हैI मांझी अब रोज ही यह सब बातें सुनती थीI पर मांझी पर इसका कोई असर नहीं होता थाI मांझी सुबह उठती बच्चों को दूसरे गाँव छोड़कर आती, आने जाने में करीब 4 घंटे लग जाते थेI इसलिए सुबह 4 बजे ही निकल जाती थीI वापस आकर खेती का काम करती और फिर शाम होने से पहले बच्चों को लेने पहुँच जाती थीI

एक बार आते -जाते समय कुछ नक्सलियों की नजर मांझी पर पड़ गईI उनकी गंदी नजर से मांझी वाकिफ़ थीI मांझी बहुत हिम्मत वाली थीI एक दिन जब वह अपने बच्चों को विद्यालय छोड़कर वापस आ रही थी तभी कुछ नक्सलियों से उसे पकड़ लियाI उधर जब शाम तक माँ वापस नहीं आई बच्चे स्वयं ही घर लौट आयेI आस-पास पता किया किसी को मांझी के बारे में कोई खबर नहीं थीI बच्चे रात-भर रोते बिलखते रहे और कब सो गए पता ही नहीं चलाI उधर मांझी को कैद करके रखा गया थाI मांझी को अपने बच्चों की याद सता रही थीI वो चिल्ला भी नहीं पा रही थी क्योंकि उसके मुँह में कपड़ा घुसाया हुआ थाI तभी एक हट्टा -कट्टा, लम्बा- चौड़ा, कद -काठी का आदमी अन्दर आयाI चिल्लाते हुए कहा “इसे पकड़कर बाहर ला” बालों से घसीटते हुए मांझी को बाहर लाया गया, मुँह में डाला हुआ कपड़ा निकाला गयाI कपड़ा निकालते ही मांझी चिल्लाई मुझे क्यों लाये हो यहाँ, तभी एक झन्नाटेदार चांटा उसके गालों में लगाI

नक्सलियों का राजा बिल्लाल चिल्लाते हुए बोला – “साली हराम खोर बहुत चिल्लाती है टेंटुआ ही दबा देंगेI” मांझी ने अपनी नजरे घुमाकर चारों ओर देखा चारों तरफ औरतें और लडकियाँ ही नजर आ रही थीI सब किसी ण किसी काम में लगे हुए थेI मांझी को समझते देर न लगी यहाँ सभी को बंधक बनाकर रखा गया हैI बिल्लाल ने चिल्लाकर कहा ले जा इसको और काम समझा दे नहीं समझ आता तो ठिकाने लगा देनाI मांझी चुपचाप सब करने लगी, दिन भर काम और रात को इन नक्सलियों के बिस्तर परI मांझी ने ठान लिया इस सबसे निकलना होगा और सबको बचाना होगाI

10 दिन हो गए थेIअब ऐसा लगा रहा था जैसे मांझी वहीं की हो गई होI मांझी का काम सबके लिए खाना बनाना थाI मांझी ने सभी औरतों, लड़कियों को धीरे –धीरे अपनी योजना में शामिल कर लियाI मांझी ने जंगल में कुछ जहर वाले पौधे निकले, जिसे उसने खाने में डाल दियाI और वो खाना उसने चालाकी से सभी को खिला दिया पर उसे यह नहीं पता था यह काम करेगा या नहीं लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारीI खाना खाते ही सब इधर –उधर लुढ़क गएI मांझी ने पास जाकर देखा सांसे चल रही थीI उसने सभी औरतों, लड़कियों को आज़ाद किया और स्वयं पुलिस थाने पहुँच गईI पुलिस ने सभी नक्सलियों को पकड़ लियाI

सरकार ने मांझी की बहादुरी को बहुत प्रशंसा की और उसे 10,000 रूपये की आर्थिक मदद भी कीI आज मांझी औरतों के लिए रोजगार संस्थान चला रही हैI अपने बच्चों को अब उसी गाँव में नए खोले गए विद्यालय में पढ़ाया जहाँ आज उसके बच्चे स्वयं शिक्षक हैंI मांझीं ने अपनी समझदारी से महिलाओं के लिए चुनौतियों के अवसर प्रदान किएI आज भी आदिवासी समाज में ऐसी मांझी जैसी हिम्मत वाली महिलायें हैं जो अपने समाज को आगे बढ़ने के लिया हर भरसक प्रयास करती हैंI



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