सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

4.7  

सोनी गुप्ता

Abstract Inspirational

(मुंशी प्रेमचंद के जीवन की कहानी)

(मुंशी प्रेमचंद के जीवन की कहानी)

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हिंदी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद जैसा कोई नहीं माना जाता है, 

इसलिए इनको 'कलम का सिपाही' नाम से जाना जाता है, 

अपने जीवन के अंतिम दिनों तक साहित्य सृजन में लगे रहे, 

इनके लेखन का मुकाबला कोई और लेखक नहीं कर पाता है I

सादा सरल जीवन प्रेमचंद सदा मस्त रहते थे, 

खेल को बाजी मानकर हमेशा जीतना चाहते थे, 

न मिला प्रेम कभी जीवन गरीबी में पलता रहा, 

घर में भयंकर गरीबी से लेखन भी चलता रहा I


अंत तक विषम परिस्थितियों का सामना किया, 

जीवन का अधिकांश भाग गाँव में ही गुजारा दियाI


 लेखक मुंशी प्रेमचंद 


(मुंशी प्रेमचंद के जीवन की कहानी) 


मुंशी प्रेमचंद 31 जुलाई 1880 को , बनारस के एक छोटे से गाँव लमही में जन्में एक छोटे और सामान्य परिवार से थे Iबहुत ही सरल , सहज स्वभाव के और दयालु प्रवत्ति के थे I

प्रेमचंद के पिता अजायब राय पोस्ट मास्टर थे I बचपन से ही उनका जीवन बहुत ही संघर्षों से गुजरा था I गरीबी और तंगी में उन्होंने अपना समय गुजारा था I जब वे आठ वर्ष के थे तब एक बीमारी से उनकी माता जी का देहांत हो गया था I


माताजी के देहांत के बाद उनको माता–पिता का प्यार नहीं मिलाI कारण यह भी रहा कुछ समय बाद पिताजी ने दूसरा विवाह कर लिया I सौतेली माता ने कभी प्रेमचंद को दिल से अपनाया नहींI 

प्रेमचंद ने प्रारम्भिक शिक्षा अपने ही गाँव लमही के एक छोटे से मदरसा से शुरू की थीI वहाँ उन्होंने हिंदी के साथ उर्दू व थोड़ा बहुत अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान प्राप्त किया I


उनका बचपन से ही लेखन में लगाव था I जिसके लिये उन्होंने बहुत प्रयास किया और छोटे-छोटे उपन्यास से इसकी शुरूआत कीI पहले किताबों की दुकान में जाकर छोटे-छोटे उपन्यास पढ़ा करते थे I पढ़ने की इसी रुचि के कारण प्रेमचंद ने वहाँ नौकरी करना प्रारंभ कर दिया Iजिससे वे अपना पूरा दिन, पुस्तक पढ़ने के अपने शौक को भी पूरा करते रहेI


प्रेमचंद बहुत ही सरल, सहज स्वभाव और दयालु प्रवृत्ति के व्यक्ति थे I कभी किसी से न लड़ना न ही बहस करना, हमेशा दूसरों की मदद करना I घर की गरीबी को दूर करने के लिये पांच रुपये मासिक वेतन पर नौकरी करना आदि I आगे जाकर उन्हें एक अच्छी नौकरी मिली और एक मिशनरी विद्यालय के प्रधानाचार्य के रूप में नियुक्त हुए I 


प्रेमचंद अपने बचपन से ही विषम परिस्थितियों में रहे जहाँ उन्हें कभी परिवार का लाड-प्यार और सुख प्राप्त नहीं हुआ I और एक समय ऐसा भी आया जब पिताजी के दबाव में आकर पन्द्रह वर्ष की उम्र में उनका विवाह हो गया I उनका विवाह उनकी मर्जी के बिना हुआ Iयह विवाह ज्यादा समय नहीं चला और दोनों में तलाक हो गया I कुछ समय बाद अपनी पसंद से दूसरा विवाह एक विधवा स्त्री से किया I इस विवाह के बाद उनकी तरक्की होती रहीI


उन्होंने सेवासदन से लेकर, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, कर्मभूमि, गबन, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से भी अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित भी हुईं। उपन्यास और कहानियाँ ऐसी जो एक बार पढ़ लो तो दिल पर छाप छोड़ देती है I


प्रेमचंद अपने लेखन कार्यों को लेकर बचपन से ही सक्रिय थे Iधीरे-धीरे उनकी कहानियों, कविताओं, लेख आदि को सराहना मिलने लगी Iएक ऐसे व्यक्ति जिन्होंने अपनी रचनाओं में बहुत ही स्पष्ट और कटु भाषाओं का उपयोग करते थे I मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास ने प्रेमचंद को मेरा पसंदीदा लेखक बना दियाI आज भी इनकी रचनाएँ हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं I

 'गोदान' उपन्यास की चंद पंक्तियाँ प्रस्तुत है


मुंशी प्रेमचंद्र का है यह उपन्यास 'गोदान' ,

जिसमें रहा कृषक वर्ग परेशानI

खेत के लिए मैदान तो हैं ,

पर सब कर दिए राय साहब को दानI

होरी की छोटी सी आशा, 

गाय लेना है उसकी अभिलाषा.. I



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