Vinita Singh Chauhan

Inspirational

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Vinita Singh Chauhan

Inspirational

मानवीय मूल्यों का  विकास

मानवीय मूल्यों का  विकास

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 गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दी थी। घरों के एसी कूलर बंद हो चुके थे लोग अपनी रजाई में दुबकने लगे थे।

       कहा भी गया है....जो सुख मिले रजाई में वह सुख मिले ना संपत्ति पाई में।


       बिट्टू को उसकी मां सुला रही थी... जल्दी सो जाओ सुबह स्कूल जाना है...! और सुबह उठाने में भी वही . .. बिट्टू उठ जाओ स्कूल जाना है बस आ जाएगी... लेकिन बिट्टू से रजाई छोड़ी ही नहीं जा रही थी। जैसे तैसे बिट्टू उठा.. और 10 मिनट में तैयार होकर बस पकड़कर स्कूल चला गया।

               बस से उसने देखा कि बहुत सारे भिखारी और बेघर लोग फुटपाथ पर बैठे हुए हैं उसके मन में यह प्रश्न आया कि दिन में तो धूप रहती है.... रात को तो बहुत तेज ठंड रहती है ये लोग रात को कैसे सोते होंगे... बिट्टू जब घर पर पहुंचा तो अपनी मां से प्रश्नों की झड़ी लगा दी।

          मां ने समझाया... बिट्टू बेटा उनके लिए प्रशासन की ओर से अलाव की व्यवस्था की जाती है। कुछ मददगार लोग उन्हें कंबल भी बांटते हैं। मां की बातें सुनकर उसे दादी की वह कहानियां याद आने लगी.... बिट्टू ने मां से कहा कि मम्मा.... दादी रात में मुझे कहानी सुनाती हैं ... दादी भी कहती हैं कि.. हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए ।

                   फिर बिट्टू दौड़ कर अपनी अलमीरा खोला और उसमें से छोटे-छोटे स्वेटर निकाले एक बैग में भरकर कहा... आज मां मैंने देखा पास वाली गली में भी एक गरीब परिवार रह रहा है। मैं उनकी मदद करना चाहता हूं...


                 मां चलो वहां पर कुछ छोटे-छोटे बच्चे भी हैं उनको मैं अपने यह स्वेटर दे दूंगा... क्योंकि अब तो यह मेरे लिए छोटे हो गए हैं बिट्टू के मन में आई परोपकार की भावना से मां का मन प्रसन्न हो गया। तब से घर में यह एक नियम बन गया कि हर ठंड में बिट्टू, उसकी मां और दादी कुछ गरीब लोगों को स्वेटर शॉल और कंबल देते हैं।

         बिट्टू के मन में परोपकार और दूसरों की मदद के विचार का बीजारोपण तो घर के संस्कारों से बचपन में ही हो चुका था। एवं बड़े होने पर बिट्टू एक बहुत बड़ा समाजसेवी बना इस तरह घर के रीति रिवाज संस्कार बड़े बुजुर्गों की बातें समाज में माननीय मूल्यों का विकास करने में सहायक होती है।

घर के संस्कारों से होता,

मानवीय मूल्यों का विकास।

छोटी-छोटी मानवीय सेवा से

जगाये लोगों में जीने की आस।।

परोपकार, दया, करुणा, सेवा से ही,

बनती जाती मानवीय गुणों की माला।

जो फेरे इस माला को जग में

जुड़े ईश्वर से उसका नाता निराला।।

मनुष्य जो मानवीय मूल्यों को अपनाता।

जीवन उसका सफल हो जाता।।



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