मेरी आरजू
मेरी आरजू
सर्दियों का मौसम अब शुरू होने को था। वैसे भी यूरोप के पहाड़ी क्षेत्रों में हमेशा तापक्रम सामान्य से बहुत नीचे रहता है। गर्म कपड़ों में सजे धजे डायना और डेरिक
अपनी बाल सुलभ मस्ती में पार्क की हरी घास पर धमाचौकड़ी मचा रहे थे।
वे दोनों मंत्र 13 वर्ष की आयु के हैं। दोनों बचपन से ही एक साथ खेले बड़े हैं और दोनों एक दूसरे के परम मित्र हैं। डायना और डेरिक दोनों के मम्मी पापा एक दूसरे के परम मित्र हैं और दोनों परिवार पड़ोसियों ने के साथ-साथ अक्सर एक साथ पिकनिक मनाने का प्रोग्राम बनाते हैं।
डायना बचपन से ही डेरिक के साथ गुड्डे गुड़ियों का खेल खेला करती है। अक्सर डायना की गुड़िया दुल्हन बनती है और डेरिक का गुड्डा दूल्हा बनता है गुड्डे गुड़ियों की शादियां इन दोनों का सबसे प्रिय खेल है।
बचपन से ही डायना को दुल्हन बनने का शौक है। उसे उसकी मम्मी दुल्हन की लिबास बचपन से ही दिलाती रही है और अपनी प्यारी गुड़िया को दुल्हन की तरह ही सजाकर रखती ।
शाम को खेलते हुए डायना अक्सर डेरिक से कहती "डेरिक मैं तेरी दुल्हन बनूंगी । तुम मुझे तंग तो नहीं करोगे।"
हंसकर डेरिक डायना का हाथ थाम लेता और बोलता
" मैं तुम्हारा हमेशा ख्याल रखूंगा। मैं तुम्हे कभी भी कोई परेशानी नहीं होने दूंगा।"
मुस्कुराकर डेरिक का हाथ थामे हुए डायना इधर से उधर दौड़ती भागती रहती।
दोनों के मम्मी पापा अक्सर हंसकर इस खेल को देखते रहते हैं। एक दिन डायना की मां ने डेरिक के पापा से कहा "अगर इन बच्चों के बीच ऐसा ही रहा, तो क्या तुम डायना को अपने घर की बहू की तरह स्वीकार करोगी।"
डेरिक के मम्मी पापा दोनों ने कहा" हां! हां !!क्यों नहीं!! इन दोनों के बीच बहुत अच्छी अंडरस्टैंडिंग है! अगर बड़े होकर यह दोनों बच्चे विवाह करना चाहेंगे तो भला हम लोगों को क्या आपत्ति हो सकती है!! और फिर तुम्हारी डायना भी तो बहुत ही सुंदर लड़की है।कौन ऐसा लड़का होगा जो डायना को पसंद न करें।"
दोनों बच्चे एक ही स्कूल में एक ही क्लास में साथ-साथ पढ़ते हैं।इनमे से अगर किसी एक का काम या होमवर्क रह जाता है, तो दूसरा उसे करने में उसकी मदद करता । यही सब बातें उन बच्चों के निश्छल प्रेम और एक दूसरे की केयर टेकिंग एटीट्यूड को दर्शाते हैं।
वे दोनों अब कक्षा 7 के छात्र है और और काफी हद तक समझदार हो गए है। दोनों स्कूल में तो साथ-साथ रहते ही हैं, घर आकर भी जितना भी खाली समय मिलता है ,उसमें वह एक दूसरे के साथ रहकर ही मस्ती करते रहते हैं।
डायना उस दिन अपनी मौसी के यहां चली गई थी। अगले दिन जब वह लौट कर आई, तो उसने देखा ,डेरिक उसके घर की तरफ ही जाने वाले रास्ते पर ओक के पेड़ के नीचे बने चबूतरे पर उदास सा बैठा था ।
डायना को देखकर उसने उसे आवाज देकर बुलाया "डायना यहां आओ"
"हां डेरिक! क्या हाल है? मैं अपनी मौसी के यहां गई थी! पर वहां मुझे तुम्हारी बहुत याद आती थी।"
" तुम्हें पता है!! जब तुम यहां नहीं होती हो तो मुझे बहुत बुरा लगता है! मैं हमेशा तुम्हारा इंतजार करता रहता हूं!! डायना अब तुम मुझे छोड़कर कहीं भी नहीं जाना।मैं तुम्हारे बिना न तो पढ़ पाता हूं और न ही मैं खेल पाता हूं। तुम तो जानती हो,तुम्हारे सिवाय मेरा कोई दोस्त भी नहीं है। बस तुम ही तो मेरी दोस्त हो "।कहते हुए डेरिक ने डायना को अपनी बाहों में भरकर उसके माथे पर एक चुम्बन अंकित कर दिया।
"मुझे भी तुम्हारे बिना कहां अच्छा लगता है? हर पल मैं तुम्हारे बारे में ही तो सोचते रहती हूं" कहते हुए डायना डेरिक के गले लग गई।
अगले दिन स्कूल में खेलते समय अचानक ही डायना को
जोर का चक्कर आया और वह बेहोश होकर नीचे गिर पड़ी। टीचर ने डायना को उठाया और उसे अस्पताल लेकर गए। डायना को अचानक ही तेज बुखार भी आ गया था। चक्कर तो उसे थोड़े-थोड़े से कुछ माह से आते ही रहते थे। पर यह बुखार और चक्कर आज एक साथ पहली बार आए थे।
अस्पताल में डॉक्टर ने खून की और कोई दूसरी जांच लिख दीं । डायना के मम्मी पापा भी तब तक अस्पताल पहुंच चुके थे।टेस्ट रिपोर्ट आने पर डॉक्टर ने जो कहा उससे तो डायना के मम्मी पापा के पैरों के नीचे से मानों जमीन ही खिसक गई।
डायना को ब्लड कैंसर था और क्योंकि शुरू से उसका ध्यान नहीं दिया गया था इसलिए यह लगभग अंतिम स्टेज में था।
फूल सी कोमल डायना दिनों दिन मुरझाती जा रही थी। उसका बुखार ठीक होने का नाम नहीं ले रहा था। डॉक्टर ने डायना के मम्मी पापा को बता दिया था की डायना के पास सिर्फ कुछ हफ्ते शेष है।
डायना के मम्मी पापा अपनी एकलौती प्राणों से प्यारी बेटी के पास ही अस्पताल में बैठे रहते थे उन्होंने नौकरी से छुट्टी ले ली थी डायना को खून की लगातार कम होती जा रही थी उसकी बैकबोन में बोन मैरो पूरी तरह से दूषित हो चुका था जिसे बदला भी नहीं जा सकता था।
एक दिन अचानक ही डायना की बहुत ज्यादा तबीयत खराब हो गई उसको आंखों से कुछ समय के लिए दिखना भी बंद हो गया।
नीम बेहोशी की हालत में वह अपनी मां को और अपने दोस्त डेरिक को याद करती रहती थी। बेहोशी की हालत में भी वह बुदबुदाते हुए,अपने दुल्हन वाले कपड़े पहन कर डेरिक की दुल्हन बनने की बात किया करती थी।
डायना के मम्मी पापा जानते थे की डायना को बचपन से ही डेरिक की दुल्हन बनने की बहुत हसरत थी।
डॉक्टर ने आज जांच के बाद डायना के मम्मी पापा को बताया की अब डायना के पास एक हफ्ते का भी समय नहीं रहा है वह सिर्फ कुछ दिन की ही मेहमान है।
डायना के मम्मी पापा के दुखों का कोई अंत नहीं था। डायना की मां ने आपके पति से कहा "जेन !डायना की दुल्हन बनने की बड़ी हसरत रही है ।मैं चाहती हूं की इस दुनिया को अलविदा कहने के पहले वह एक बार डेरिक की दुल्हन बन जाए तो बहुत अच्छा है।"
रूंधे गले से जेन बोला "हां तुम ठीक कह रही हो हमको डेरिक और उसके पापा से इस संबंध में बात अवश्य कर लेनी चाहिए ।यदि वह रेडी है, तो हमें एक बनावटी शादी का आयोजन करना चाहिए।"
डेरेक के मम्मी पापा को इसमें कोई ऐतराज नहीं था।
डेरेक डायना की हालत से बहुत दुखी था।वह डायना की हर इक्षा को पूरा करना चाहता था।इसलिए उसने तुरंत हां कर दी।
उसी दिन उन्होंने इस विवाह का समाचार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल कर दिया और अपनी जान पहचान के लगभग 100 लोगों को अस्पताल के पास के एक होटल में आमंत्रित कर बुला लिया।
लोगों ने इस विवाह के लिए बढ़-चढ़कर आर्थिक मदद की और खर्च के लिए यथेष्ठ धन एकत्रित कर लिया गया।
डायना को दुल्हन की तरह सजाया गया।डेरिक को डायना ने रिंग पहनाई और डायना ने डोरिक को।
आज डायना की आंखों में एक अनोखी चमक आ गई थी और जिस तरह बुझने के पहले दिया अपनी तेज रौशनी से प्रदीप्त हो उठता है, उसी तरीके से डायना अपने अंतिम समय में पूरी तरह से चैतन्य हो उठी ।
उनके विवाह की सारी रस्में पूरी हुई और डेरिक ने डायना को अपनी बाहों में भर कर उसके होंठ चूम लिए। इसके तुरंत बाद ही डायना की आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा। डायना डेरिक को अपनी बाहों में कस कर पकड़ कर बोली डेरिक आई लव यू वेरी मच अब मैं और आपका साथ नहीं दे पाऊंगी" इतना बोल कर वह चिर निद्रा में लीन हो गई।
विवाह में उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति की आंखों में आंसू थे।