मुनिया की गुल्लक
मुनिया की गुल्लक
बच्चों एक मुनिया नाम की लड़की थी। उसके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी मुनिया के बापू मजदूरी करते थे व मुनिया की माँ सिलाई मशीन चलाकर अपने परिवार का गुजर बसर करती थी मुनिया का एक बड़ा भाई राजन भी था सभी लोग हिलमिल कर रहते थे मुनिया के जन्मदिन पर उसके भाई राजन ने उसको गुल्लक लाकर दी थी और मजाक में मुनिया से कहा था कि ले इस गुल्लक में अपनी शादी के पैसे जोड़ते रहना। मुनिया छोटी थी जब से ही वह कुछ न कुछ पैसे अपनी गुल्लक में डालकर बचत करने लगी थी बच्चों एक - एक पैसे से तिजोरी भर जाती है और एक - एक बूँद से घड़ा भर जाता है अत : हमें बड़ों द्वारा कुछ न कुछ पैसे अवश्य ही अपनी गुल्लक में जोड़ना दिये हुए पैसों में से चाहिए। न जाने वो जुड़ी हुई राशि कितने काम पड़ जाये कोई सोच भी नहीं सकता। टॉफी - बिस्कुट , खेल - खिलौने में जितनी चाहे रकम खर्च कर दो पर वो थोड़ी ही देर के लिए संतुष्टि देती है सभी बच्चों बचपन से जैसी आदत बनाओ वैसी ही बन जाती है मितव्ययी होना व एक - एक पैसा जोड़ना बहुत ही अच्छी आदत है। एक बार मुनिया का भाई राजन एक्सीडेंट में गंभीर रूप से घायल हो गया इलाज के लिए शहर ले जाने के लिए बहुत से पैसों की जरूरत थी सभी इसी उहापोह ( दुविधा ) में थे कि इतनी बड़ी रकम का इन्तजाम कैसे किया जाए। मुनिया ने तत्परता से अपनी गुल्लक लाकर सभी के सामने फोड़ दी और कहा कि मेरे भैया से प्यारी मुझे यह गुल्लक नहीं है। मुनिया कि गुल्लक से ढेर सारे पैसे निकले जो राजन के इलाज के लिए पर्याप्त थे। उन पैसो से राजन का अच्छे से इलाज हुआ व राजन ठीक होकर घर आया उसने घर आकर मुनिया को लाख - लाख धन्यवाद दिया।