नया दिन, उल्लास भरी सुबह
नया दिन, उल्लास भरी सुबह
हर दिन इस यकीन के साथ उठो कि आने वाला नया दिन जाने वाले दिन से दिन यकीनन अच्छा होगा। और नया सवेरा होगा ।
हर दिन एक नया दिन होता है। और यकीनन जाने वाले दिन से ज्यादा अच्छा होता है । यह जिंदगी का नियम है सृष्टि का नियम है। यह सोचते सोचते वह अपने बिस्तर से उठ कर बालकोनी में जाती है। और उगते सूरज को देख कर के खुश होती है। नए दिन का स्वागत करती है। और अपने अतीत में खो जाती है।
किस तरह हर दिन उसके लिए एक चैलेंज था । और हर नया दिन कुछ ना कुछ नया लेकर आता था। इसी तरह45 साल पहले आज के ही दिन एक नए दिन में नई सुबह में नए सूरज ने उन दोनों के जीवन पर दस्तक दी। और दोनों परिणय सूत्र में बंधे । और अपनी मंजिल की ओर चल पड़े। 45 साल में कठिन परिश्रम के साथ सफलता पाते हुए उन्होंने ऊंचाइयों को सर किया अपनी मंजिल पाई।
नाम कमाया और सब को खुश किया। और खुद भी खुश रहे, उनके घर की बगिया भी महकायी। यह सब सोचते सोचते कब वह अपने बारे में सोचने लगी । हर दिन एक नया दिन, नया सवेरा, नया चैलेंज जिसमें उसने अपने आपको कभी निराश नहीं करा और दुगने उत्साह से खड़े रहकर काम किया व सफलता पाई । चुनौतियां आज भी उसके सामने बहुत हैं। जीवन संध्या में भी जवाबदारियां और चुनौतियां हैं तो भी वह उतने ही उत्साह से वे उन चुनौतियों को पार कर रही है यही नियति है। पॉजिटिव रहकर काम करोगे तो हर दिन नया दिन लगेगा।नहीं तो ऐसा लगा रे 1 दिन और आ गया इसीलिए कई करूं,/क्याकरूं कई करूं/क्या करूं से कुछ करूं, कुछ करूं ज्यादा अच्छा है। और नए दिन का खुशी से स्वागत करूं वह ज्यादा अच्छा है जो नियम उसने बना रखा है। और उसी के साथ जिंदगी चल रही है और अच्छी चल रही है ऐसा विचारते हुए वह नए दिन का वापस स्वागत करने में लग जाती है। और अपनी माता जी का गीत उठ रे जिवड़ा हट परभात। ऊंची है शत्रुंजय टूंक शत्रुंजय में आदिनाथ उठ मारा जिवड़ा गाते गाते अपने काम पर लग जाती है नए दिन का स्वागत करने लग जाती है।