फॉर्म हाउस
फॉर्म हाउस
फॉर्म हाउस भाग 8
पूजा ही पवित्रा है, जबसे यह रहस्योद्घाटन हीरेन ने किया था , अदालत में तहलका मच गया था । हीरेन की ख्याति यही थी । वह जिस केस को हाथ में लेता है , उसी में तहलका मच जाता है । तहलका और हीरेन का चोली दामन का साथ है, यह इस केस से भी सिद्ध हो गया था । वैसे भी इस केस में तहलका मचना ही था , सो खूब मचा ।
हीरेन की जिरह सुनकर बहुत देर से सीनियर एडवोकेट लीना मल्होत्रा चुपचाप बैठी हुई थी । जब वीरेन्द्र और किशोर के बयानों के आधार पर केस पलटने लगा तो लीना मल्होत्रा बहुत झुंझलाई । उसे तो यह केस बहुत आसान लग रहा था मगर इसे हीरेन जबरदस्ती उलझा रहा था इसलिए वह तैश में आ गई और अपनी सीट से उठकर खड़ी हो गईं ।वह जज साहिबा से मुखातिब होते हुए बोलीं
"मैम , गुस्ताखी के लिए माफी चाहती हूं मगर सच बोलना मेरी जिम्मेदारी है । मेरे काबिल दोस्त हीरेन ने अदालत को एक "मदारी का घर" बनाकर रख दिया है । ऐसा लग रहा है कि जैसे कोई मदारी अपनी डुगडुगी बजा कर अपना खेल दिखा रहा हो और हम सब लोग उसे मूक दर्शक बन कर देख रहे हों । जब वीरेन्द्र कह रहा है कि वह औरत पूजा है तो वह पूजा ही है । किशोर भी उसे पूजा ही बता रहा है । तो फिर मेरे विद्वान मित्र उसे पूजा से पवित्रा कैसे बना सकते हैं" ? लीना मल्होत्रा की झुंझलाहट साफ दिखाई दे रही थी । वह गुस्से में तमतमा उठी थी ।
"मी लॉर्ड ! मेरी सीनियर काबिल एडवोकेट साहिबा ने सही कहा है कि मैं पूजा को पवित्रा कैसे बना सकता हूं ? मेरे पास कोई जादू की छड़ी तो है नहीं जो मैं पूजा को पवित्रा बना दूंगा । पर वह जादू की छड़ी वीरेन्द्र के पास अवश्य है । उसने यह कारनामा करके दिखाया है । दरअसल मैं पूजा को पवित्रा नहीं बना रहा हूं, मैं तो पवित्रा से पूजा बनी हुई एक औरत को वापस उसके असली रूप यानि कि पवित्रा के रूप में ला रहा हूं । दैट्स ऑल मी लॉर्ड" । हीरेन ने अपनी सफाई प्रस्तुत की ।
"योर ऑनर, मेरे काबिल दोस्त अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं और अदालत का कीमती समय बर्बाद कर रहे हैं । ये रही पूजा के आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र की प्रमाणित प्रति । अब इससे अधिक सबूत की जरूरत अदालत को नहीं होनी चाहिए योर ऑनर" । लीना मल्होत्रा ने खिल्ली उड़ाने के अंदाज में हीरेन की ओर देखा ।
लीना मल्होत्रा द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों ने हीरेन को विचलित अवश्य किया पर वह घबराया नहीं । वह कहने लगा
"योर ऑनर, आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र तो फर्जी भी बन जाते हैं इसलिए किसी व्यक्ति की पहचान के ये एकमात्र आधार नहीं हो सकते हैं । इस संबंध में मैं आपके सामने एक ऐसे गवाह को प्रस्तुत कर रहा हूं मी लॉर्ड जो दूध का दूध और पानी का पानी कर देगा" । और हीरेन ने विवेक को एक इशारा किया ।
विवेक अदालत के कमरे से बाहर चला गया । थोड़ी देर में वह एक औरत को अदालत में ले आया । वह औरत हूबहू उस फोटो से मिलती जुलती थी जिसे किशोर ने पहचानकर पूजा बताया था । विटनेस बॉक्स में पूजा को खड़े होने के लिए जगह बना दी गई । हीरेन उससे पूछताछ करने लगा
"आपका नाम क्या है" ?
"पूजा"
"पूरा नाम बताओ" ?
"पूजा ही है"
"कोई सरनेम वगैरह" ?
"नहीं , मैं सरनेम नहीं लगाती"
"आप वीरेन्द्र को जानती हैं" ?
"हां, मैं इनके साथ लिव इन में रह रही हूं"
"कब से" ?
"लगभग 5-6 सालों से"
"आपका कोई बच्चा नहीं है" ?
"जी है । एक बच्चा है जिसका नाम सोमेश है"
"कितने साल का है" ?
"5-6 साल का है"
"बच्चे का पिता कौन है" ?
"वीरेन्द्र ही है । बच्चे की स्कूल की मार्क्स शीट देख सकते हैं आप । उसमें उसके पिता का नाम वीरेन्द्र ही लिखा हुआ है" ।
"मैं लीगल पिता की बात नहीं कर रहा हूं , अपितु जैविक पिता की बात कर रहा हूं । बच्चे का जैविक पिता कौन है?
"कमाल के वकील हैं आप ? लीगल और जैविक पिता अलग अलग होते हैं क्या" ? वह नाराज होते हुए बोली
"अरे, आप नाराज मत होइए । मैं तो वकील हूं इसलिए कड़वे और मीठे सब तरह के प्रश्न पूछता हूं । हो सकता है कि आपको कुछ प्रश्न अच्छे ना लगें , पर प्रश्न पूछना मेरा अधिकार है । जहां तक लीगल और जैविक पिता की बात है , दोनों एक ही हों, यह जरूरी नहीं है । अलग अलग भी हो सकते हैं । आपसे जो पूछा है, अब उसका जवाब दीजिए । क्या वीरेन्द्र ही बच्चे का जैविक पिता है" ?
इस बात पर लीना मल्होत्रा उखड़ गई । वे जोर जोर से बोलने लगीं "ये एक नारी का अपमान है योर ऑनर। एक नारी को भरी अदालत में जलील किया जा रहा है और अदालत मूक दर्शक बनकर इसे देख रही है । यह और भी अधिक चिंताजनक बात है कि एक महिला जज के सामने ही एक नारी की लाज का चीर हरण हो रहा है । मुझे इस प्रश्न पर गंभीर ऐतराज है" । लीना मल्होत्रा फुंफकारने लगीं ।
लीना मल्होत्रा के इस ऐतराज के बाद जज अनिला तिवारी ने हीरेन को वार्निंग देते हुए कहा "मिस्टर हीरेन , औरत की गरिमा कायम रखते हुए ही सवाल पूछिए । गरिमा गिराने वाले सवाल मत पूछिए " ।
"जी मैम , मैं भी वही कर रहा हूं । क्या मैं आप से पूछ सकता हूं कि धृतराष्ट्र के पिता का क्या नाम था" ?
"ऑब्वियसली मिस्टर हीरेन , यू कैन । धृतराष्ट्र के पिता का नाम विचित्रवीर्य था । और कुछ"? जज अनिला तिवारी अपने ज्ञान पर इतराने लगी ।
"नहीं, विचित्रवीर्य तो धृतराष्ट्र के विधिक पिता थे , वे उसके जैविक पिता नहीं थे । उनके जैविक पिता का नाम क्या था" ? हीरेन जैविक शब्द पर जोर देकर बोला ।
जज साहिबा बहुत देर तक सोचतीं रहीं फिर बोलीं "शायद महर्षि वेदव्यास थे" ।
"ऐक्जेक्टली । वेदव्यास जी ही धृतराष्ट्र के जैविक पिता थे मगर वे उत्तराधिकारी थे विचित्रवीर्य के । अब आप ही बताइए कि विधिक और जैविक पिता अलग अलग होते हैं या नहीं ? मेरा इन मैडम से भी यही सवाल है । अब आप ही बताइए मैम कि इससे किसी नारी की गरिमा कैसे गिर जाएगी ? कोई मुझे समझा सकता है क्या" ?
"ऑब्जेक्शन ऑवररूल्ड" । जज साहिबा ने कह दिया ।
जज साहिबा के इस निर्णय से हीरेन के मुख पर विजय की एक मुस्कान दिखाई देने लगी । उसने लीना की ओर देखते हुए जज साहिबा को धन्यवाद प्रदान कर दिया । वह फिर से पूजा उर्फ पवित्रा के पास आया और उससे कहने लगा
"आप झूठ बोलकर अदालत को गुमराह कर रही हैं, पवित्रा जी । आपको शायद पता नहीं है कि अदालत में झूठे बयान देना अपराध है और आप झूठे बयान देकर गंभीर अपराध कर रही हैं । आप पूजा नहीं, पवित्रा हैं और वह बच्चा भी वीरेन्द्र का नहीं अपितु राज मल्होत्रा का है । इसी बच्चे को लेकर आपका और राज मलहोत्रा का विवाद हुआ था और गुस्से में आकर राज मलहोत्रा ने वह बच्चा गिराने के लिए कह दिया था किन्तु आपके पति से आपको कोई बच्चा नहीं हुआ था इसलिए आप उस बच्चे को चाहने लगी थीं और आपने वह बच्चा गिराना उचित नहीं समझा । आपके पेट में एक बच्चा राज मल्होत्रा का पल रहा है, इस बात का पता आपके पति विजय को चल गया था और उसने आपको इसी बात पर तलाक दे दिया था । बोलो , क्या यह सब झूठ है" ? हीरेन ने पूजा की आंखों में आंखें डालकर देखते हुए पूछा ।
इतने में लीना मल्होत्रा फिर से उठकर खड़ी हुईं और कहने लगी "मेरे काबिल दोस्त मरहूम राज मलहोत्रा के चरित्र हनन का प्रयास कर रहे हैं योर ऑनर" ।
"जिसका कोई चरित्र ही ना हो, उसका चरित्र हनन कैसे हो सकता है योर ऑनर ? राज मल्होत्रा एक विवाहित व्यक्ति थे और उनके अनेक लड़कियों और महिलाओं से अवैध संबंध थे , ईशा , पवित्रा और रिषिता इसके उदाहरण हैं । इसलिए मुझे गवाह से प्रश्न पूछने का अवसर दिया जाना चाहिए योर ऑनर" ।
"ऑब्जेक्शन ऑवररूल्ड । यू कैन कैरी ऑन" जज अनिला तिवारी ने लीना के ऑब्जेक्शन को खारिज कर दिया । हीरेन फिर से पूछताछ करने लगा तो पूजा जोर से चीख पड़ी
"हां, हां, हां । ये सब झूठ है । बिल्कुल झूठ है । मुझ पर गलत इल्जाम लगाये जा रहे हैं । मैं न तो राज मल्होत्रा को जानती हूं और न ही किसी विजय को जानती हूं । ये आपकी गढी हुई कहानी है जिसमें मुझे जबरदस्ती उलझाया जा रहा है । इसमें कुछ भी सच्चाई नहीं है । मैं जो भी कुछ कह रही हूं बिल्कुल सच कह रही हूं , सच के सिवा कुछ नहीं कह रही हूं । मेरा विश्वास कीजिए जज साहब, मेरा विश्वास कीजिये" । इतना कहकर पूजा कटघरे में ही धाड़ें मारते हुए रोने लगी और वह वहीं पर गिरकर अचेत हो गई । इस घटना से अदालत में अफरा तफरी मच गई ।
शेष अगले अंक में