रेनू परी और कमला अद्भुत कहानी
रेनू परी और कमला अद्भुत कहानी
एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बूढ़ी औरत रहती थी। उसका नाम था कमला। उसका का जीवन बहुत ही साधारण था, वह अपने छोटे से घर में अकेली रहती थी और दिन भर बगीचे में काम करती थी। लोगों की बहुत मददगार थी। दीन दुखियों की बहुत मदद करती थी
एक दिन, जब वह अपने गुलाब के पौधों की देखभाल कर रही थी, उसने देखा कि एक छोटी सी परी उसके बगीचे में आई हुई है। परी का नाम था रेनू।
रेनु ने कमला से कहा, "मैं एक खोई हुई परी हूँ और मुझे अपने देश वापस जाने का रास्ता नहीं पता। क्या आप मेरी मदद कर सकती हैं?"
कमल ने बिना सोचे समझे हाँ कर दी और उसने रेनु को अपने घर में आश्रय दिया। दोनों ने मिलकर कई दिन तक परीलोक का रास्ता ढूंढा। इस दौरान, रेनु ने कमला को जादूगरी सिखाई और कमला ने उसको धरती के बारे में बताया।
एक दिन, जब वे जंगल की गहराई में थे, उन्होंने एक पुराना मंदिर पाया जिसमें एक गुप्त द्वार था। रेनू ने उस द्वार को खोलने के लिए अपनी जादुई छड़ी का उपयोग किया।
द्वार खुलते ही, उन्हें एक मनोरम और चमकीली दुनिया दिखाई दी—यह परीलोक था।
रेनू ने कमला का हाथ पकड़ा और कहा, "आपने मेरी मदद की, अब मैं चाहती हूँ कि आप मेरे साथ परीलोक में आएं और देखें कि हम कैसे रहते हैं।"
उसने साथ परीलोक की यात्रा की और वहाँ की सभी अद्भुत चीजों को देखा। उसे परीलोक में बहुत प्यार और सम्मान मिला। कुछ समय बाद, कमला वापस अपने गाँव में लौट आई, लेकिन अब वह अकेली नहीं थी। उसके पास रेनु और अन्य परियों की यादें और जादुई सिखावटें थीं, जो उसे हमेशा याद आती रहतीं।
अब वह गांव के बच्चों को इकट्ठा करके परीलोक की कहानी सुनाने लगी इससे बच्चे भी उसके पास आने लगे।
दादी दादी कहने लगे उसका अकेलापन दूर हो गया ।
इस प्रकार, उसकी जिंदगी की जिंदगी जो पहले साधारण थी, वह अब बहुत अच्छी हो गई। अपनी हुनर और मेहनत को उसने गांव वालों के उत्थान के लिए उपयोग किया ।
उसने जाना कि दोस्ती और मदद करने की भावना, चाहे किसी भी दुनिया की हो, हमेशा कीमती होती है। यही बात उसने लोगों को भी समझाई
और बहुत खुशी से शांति से प्यार से गांव वालों के साथ में अपनी जिंदगी बिताई।
गांव वाले उसके जाने के बाद भी उसको बहुत याद करते थे उन्होंने उसके याद में उसका स्मारक भी गांव में बनवाया।
इस तरह में अपने बड़े कामों से
लोगों की मदद करते हुए अमर हो गई और अपना नाम कर गई।