रोके से भी ना रुके जब विनाश,काल बन कर आएं।।
रोके से भी ना रुके जब विनाश,काल बन कर आएं।।
कहते हैं की आप कितने भी ज्ञानी , महान, वीर, शोर्यवान,दयावान, धर्मी, मजबूत, धीर क्यू ना हो, पर जब विनाश जब काल बन कर आता है तब सब ध्वंश हो जाता हैं ।
हम अज्ञानी हो जाते हैं ,
महानता दूर हो जाती है,
हम अधर्म के मार्ग पर चलते हैं ,
अहंकार में हमें कुछ नही दिखता,
हमारी ताकत खत्म हो जाती है।
ये सब सिर्फ़ इसलिए क्योंकी हम अधर्म के असत्य के मार्ग पर होते है। ईश्वर कभी अनीति का साथ नहीं देते।चलो समझते ये बाते रामायण के इस प्रसंग के साथ :
बाली वध :
परिचय: बाली
बाली, किष्किन्धा के राजा और वानराश्रेष्ठ “महाराज रीक्ष” के पुत्र थे, किन्तु ऐसा कहा जाता है कि महाबली बाली देवताओं के राजा इंद्र के पुत्र थे. महाबली बाली के पास 100 हाथियों के बराबर बल था, वह बहुत ही शक्तिशाली था. ऐसा कोई भी योद्धा नहीं था, जिसको उसने युद्ध में परास्त ना किया हो. ऐसा कहा गया है कि देवराज इंद्र ने बाली को एक हार दिया था, जिसे ब्रम्हा जी ने मंत्र्मुक्त कर उसे वरदान दिया कि – जब भी वह इसे पहन कर युद्ध में जायेगा तो उसके शत्रु की आधी शक्ति उससे छिन कर बाली को प्राप्त हो जाएगी. जिसके कारण वह और अधिक बलशाली हो गया. उसके पास इतना बल था कि एक बार बाली ने लंकापति रावण को भी अपनी काँख में दबा कर पूरी पृथ्वी में घुमाया था.
तारा : बाली की पत्नी
बाली का विवाह वानर वैद्यराज की पुत्री तारा के साथ हुआ. एक कथा में ऐसा कहा गया है कि जब समुद्र मंथन हुआ था, तब उसमें 14 मणियों में से कुछ अप्सरा भी थीं. उन्हीं अप्सराओं में से एक थी तारा।
बाली एक ऐसा महान, ताकतवर, शोर्यवीर, बलशाली राजा जिनकी भुजा में 100 हाथियों की ताकत, विद्वान ,जो हैं पुत्र इन्द्र का, जिसने रावण की भी हराया, वानरों की विशाल राज के राजा बाली ... जिसने सिर्फ़ एक गलती की जिनकी वजह से उनकी मृत्यु हुई। तारा उनकी पत्नी सब जानती थी की वो वनवासी विष्णु अवतार हैं ,बार बार तारा ने बाली को समझाया की युद्ध ना करे, अहंकार ना करे, धर्म के मार्ग पर चले,पर बाली ने नही सुना , सुग्रीव से युद्ध किया और अंत में राम जी ने उनका अंत किया।।
सुग्रीव ने सत्य का मार्ग चुना, श्री राम के शरण में गए और अंत में उनकी विजय हुई और किसकिंधा के राजा बने।।
सिख : विनाश को , काल को कोई टाल नहीं सकता पर , ईश्वर एक मौका सबको देते है सत्य के मार्ग पर चलने के लिए ,तो बुरी चीजों , विचारो, संगत का त्याग करे और सत्य और धर्म के मार्ग पर चले।।
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