Vinita Shukla

Tragedy

4.5  

Vinita Shukla

Tragedy

सच्चाई

सच्चाई

2 mins
67



ऑफिस में, एक जरूरी मीटिंग, देर तक खिंच गई. शाम गहराने लगी थी. कविता ने अपनी असिस्टेंट नमिता को, उसके घर छोड़ने का, फैसला किया. नमिता ने विनम्रता से कहा, “मैम आप परेशान मत होइए. मैं कैब लेकर चली जाऊँगी.”

“नहीं रे...कैब सुरक्षित नहीं है...अँधेरा होने वाला है. मैं तुम्हें ड्राप कर दूंगी.”

“ओके मैम...आप कितनी केयरिंग हैं! बिलकुल माँ की तरह!! आज अम्मा से, आपको मिलवाती हूँ. मेरे हाथ की चाय भी पी लीजियेगा”

“बिलकुल” अपनी सहायिका के, उत्साह को देखकर, कविता भी उत्साहित हुई. उसने अपने ड्राईवर को, नमिता के फ्लैट का, रुख करने को कहा. रास्ते भर वह, अपने साथ बैठी, लड़की के बारे में, सोचती रही. ‘बड़ी जीवट वाली है, यह लड़की’, उसने खुद से कहा, ‘ अपने नाम के आगे, पिता का उपनाम नहीं लगाती. सुना था, इसके पिता ने इसका और इसकी माँ का... कभी ख़याल नहीं रखा. कार्यालय की फाइलों में तो... नमिता एस., नाम दर्ज है. ‘एस.’ का मतलब, भला क्या हो सकता है?’

  गन्तव्य आने पर, कविता का विचारक्रम टूटा. वे दोनों, शांत भाव से, लिफ्ट में खड़ी हो गईं. लिफ्ट का दरवाजा, ठीक, नमिता के, फ्लैट के सामने खुला. लिविंग रूम में, खिचड़ी बालों वाली एक महिला, दीवान पर अधलेटी होकर, टी. वी. देख रही थी. कविता को देखकर, महिला की आँखों में, कुछ कौंधा. उस कौंध से डरकर, वह उठ खड़ी हुई. यह तो सुरभि थी ! तो नमिता सुरभि की बेटी थी...नमिता एस.- माने नमिता सुरभि...! कहीं डेमेंशिया की मरीज, यह स्त्री, उसे पहचान तो नहीं रही थी??

 इतने में नमिता, हाथ में ट्रे लेकर, आ गयी. ट्रे में ,जूस के गिलास थे. पीछे पीछे नौकरानी, खाने का सामान लिए, चल रही थी. “अरे मैम...आप खड़ी क्यों हो गईं?! प्लीज हैव समथिंग...अभी चाय बनाकर, लाती हूँ”

“सॉरी नमिता...आई विल कम, सम अदर टाइम. मुझे अभी अभी याद आया, एक जरूरी मेल भेजना होगा- घर से”

गाड़ी में बैठकर, वह पुनः, सोच में पड़ गयी. नमिता उसे अपना आदर्श मानती थी...उसने अपनी माँ को, उनके अंत समय तक, ‘सपोर्ट’ जो किया था; परन्तु यह भी सही था कि कविता ने, उसी माँ को, खून के आँसू भी रुलाये थे! उनको जता दिया था कि ताउम्र वह, अनिरुद्ध की, उपपत्नी बनकर रह सकती थी; लेकिन किसी दूसरे पुरुष से विवाह नहीं करेगी!

   अनिरुद्ध- सुरभि का पति और नमिता का पिता! एक तरफ उसकी वैध पत्नी और दुधमुंही बच्ची...दूसरी तरफ उपपत्नी. दोनों पक्षों की, खींचातानी से ऊबकर, उसने आत्महत्या कर ली!

 कविता ने आँखों को मूँद लिया. वह भगवान से मना रही थी कि नमिता को सच्चाई का, कभी पता ना चले!!



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