सहयोगी भाव से बढ़ता रहा समाज
सहयोगी भाव से बढ़ता रहा समाज
सहयोग भावना की अहमियत हमारे आपके जीवन, समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिसे मैं बिना धन की पूंजी मानता हूँ,जिसे खरीदा, बेचा या एकत्र नहीं किया जा सकता।सहयोग भावना मानवीय संवेदना और मूल्यों पर आधारित है। और इस बात से शायद ही कोई असहमत हो कि सहयोग भावना निरर्थक है। यदि हम आजादी की लड़ाई का संज्ञान लें तो हम देखते हैं कि इस आजादी में सहयोगी भावना की प्रभावी भूमिका रही है। वर्तमान में आज का उदाहरण समीचीन है कि जब सोमालिया के समुद्री लुटेरे ने पाकिस्तानी नागरिकों का समुद्र के भीतर समुद्री जहाज से अपहरण की कोशिश की तब भारतीय नौसेना के जांबाजों ने सहयोग और मानवीय संवेदनाओं को सर्वोपरि माना और इक्कीस पाकिस्तानी नागरिकों को बचाया।
हमारे आसपास भी बड़े बड़े असंभव कार्य भी सहयोग की भावना के कारण बड़ी आसानी से हो जाते हैं। जाने कितनी गरीब बेटियों की शादियां सकुशल और सम्मान से संपन्न हो जाती हैं। गरीब परिवार के सदस्य का असंभव सा लगने वाला इलाज थोड़े थोड़े सहयोग से हो जाता है। सहयोग भावना के कारण ही जाने कितने लोगों की विपरीत परिस्थितियों में मौत के मुंह से बचा लिया जाता है।
आज भी गांवों में किसी परिवार के घर का आयोजन गांव में रहनेवालों के सहयोग से संपन्न होता है। जिससे परस्पर प्रेम और विश्वास का वातावरण सुदृढ़ होता है।
आज समय के साथ हर स्तर पर चाहे सामाजिक हो पारिवारिक, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, शिक्षा कला साहित्य संस्कृति, तकनीक, और सहयोगी भावनाओं में बड़ा बदलाव आया है जो कि निरंतर जारी है। बाबजूद इसके सहयोगी भावना आज भी विभिन्न स्तरों/क्षेत्रों और समयानुसार इसका उदाहरण हम सभी को मिलता ही रहता है।
ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि सहयोग की भावना से ही हमारा मानव समाज जितना आगे बढ़ता है, उतना किसी और रुप में नहीं। वैसे भी सामाजिक व्ववहारिक, मानवीय उद्देश्य की विकास यात्रा में सहयोगी भावना का भरपूर समावेश देखने को मिल ही जाता है।