Saumya Singh

Romance

4.3  

Saumya Singh

Romance

स्कूल क्रश...

स्कूल क्रश...

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मैं इक शायरी सी..जिसे कहना पसन्द है,

मैं एक हवा सी जिसे बहना पसन्द है,,

हूँ तो एक खुली किताब सी ,बिखरी हूँ तुमपर समेट लो....आकर ...... क्योंकि तुम पसन्द हो।।


यूँ तो स्कूल के दिनों में सबके दोस्त होते है ,प्यार होता है ,जिसे कभी कभी आकर्षण या बढ़ती उम्र का हार्मोनल बदलाव कह दिया जाता है.....


मेरी प्रेमकहानी जिसे लव एट फर्स्ट साइट समझिये या लव एट एवरी साइट समझिये..उसकी वो मुस्कुराहट,और वो यूनिफार्म क्या गजब कहर कर जाता था, हाय!घायल हो जाते थे जब वो क्लास में मार्कर इंक लेने कभी कभी आ जाता था। 

वो हेडबॉय था ....मेरा शौर्य ,यूँ तो उसके चेहरे पे अक्सर मैने मुस्कान देखी है,और उसका यूँ मुस्कुराना सहजता से सब स्वीकार करना मुझे बहुत ही भाता था, सेक्शन एक होने पे जितनी खुशी मिली कि जैसे सबकुछ पा लिया हो, उसे अक्सर दूर से देखना व उसके पैरलल ही बैठना पसन्द था हमे उसे देखकर बहुत प्रशन्नता होती थी वो न आये तो दिन उदासी में बीतता था ,खैर ये सब  नियति को अच्छा नही लगा हमारा सेक्शन अलग हो गया पर अभी भी हम उसे देखने से कब चूका करते थे,विंडो साइड बैठ करते जहा से वो दिख ही जाता था अक्सर और हमारी ऐसी किस्मत की वो मेरा अनजाने में ही सही हेडबॉय बन प्रेयर में सामने ही दिख जाया करता था मन करता देखते रहू प्रेयर छोड़कर पर टीचर्स होते थे उसकी आंखें बंद होने पर ही हिम्मत होती कि अपलक देखूँ पर टीचर्स खैर....छुट्टी में वो वक्त बहुत ही भाता था जब हम उसे भीड़ में भी ढूंढ़लिया करते थे एक तो उसकी प्यारी सी स्माइल और सबसे ज्यादा हाइट... मन्ज़िल तो अलग थी,पर रास्तेते हसीन थे,स्कूल के दिन की थी जो सारे जग से वीरान थी।।

वो भी क्या पल थे चॉकलेट से दोस्ती पेपर में चीटिंग न कराओ तो दुश्मनी।।

खैर वो टॉपर था हम ठहरे एवरेज ।

वैसे अब सुबह हसीन प्यारी लगने लगी थी ,रात भर बहाने ढूंढते फिरते की उससे बात क्या करूँ कुछ सूझता ही न था ...स्कूल आने की इतनी जल्दी देख सब हैरान थे ...शायद प्रेमरोग नामक इश्क़ का यही कीड़ा था,जो हमे लग गया था ,बारिश की बूंदों से प्यार हो चला था और अब जिन्दगी से कुछ नही चाहिए था ,उसके क़िस्से उसकी मुस्कुराहटें और उसका साथ ही काफी थापर उसके दिल मे क्या है बस यही जानना बाकी था.....

रिजल्ट्स आ गए ,हम जुदा हो गए पर कभी उससे कह न पाए न सुनने की हिम्मत नही और कैसे कहूँ वो गलत न समझे यही सोच सब खत्म करदी शुरू होने से पहले ही......

  

खत्म नही ये कहानी.....रुको प्यारो...

समय जो नही कर सकता वो भाग्य करता हैऔर किसी भाग्यशाली केसाथ ही करता है,,हम फिर मिले और स्कूल नही वो मेरे घर आया और इतने सालो में किसी ने हमसे कोई बात तक ना की आजतक पर उसने हमें पहली बार मेरी स्माइल को नोटिस किया और हमसे ही नही मेरी मम्मी के सामने कह दिया ,मेरा प्यार था और मन में हमेशा रहेगा.................


पर देखते हैं.....इस कहानी का आखिरी क्या परिणाम होता है क्योंकि अक्सर फिल्मो में ही अच्छी एंडिंग होती है.......... तुम्हारी लवी ...

पार्ट 2....

किसे दोषी ठहराया जाए..!?

 मुझे या मेरे मन को!?

प्यार मैने किया ये गलत था या प्यार एकतरफा हुआ ये गलत..

समाज,जातिवाद को दोषी ठहराऊं या मेरे  प्रेमी को जिसकी प्रेमिका तो मैं ना रही वो मेरा प्रिय जरूर रहा..

 इतनी समझदारी की एकपल में  ही सब बदल कर रख दिया ,

मेरा सबकुछ बदल गया,

मेरे लम्हे ठहर से गये हैं..

काश कोई मेरे इस बिखराव को फिरसे समेटकर गले लगा सके....

साथ होकर मेरे, पर साथ नही वो मेरे😢

# lovy/शौर्य


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