Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

4  

Akshat Garhwal

Action Crime Thriller

Twilight Killer Chapter-41

Twilight Killer Chapter-41

15 mins
323


आसुना से आज उसकी आपबीती पूछी जा रही थी, उसका चेहरा दुनिया के सामने था। आज वो मौका आया था जब वो अपने हिस्से की कहानी बताया सकती थी, लोगों ने तो जय को लेकर बहुत सारी राय बना रखी थी, कोई कहता की वो एक सनकी खूनी है, कोई कहता कि वो एक रहस्यमयी व्यक्ति है, तो कुछ लोगों का यह भी कहना था कि वो अन्डरवर्ल्ड के लिए काम करता है। पर असल में इनमें से किसी को भी उस जय के बारे में पता ही नहीं था जिसे आसुना प्यार करती थी, वो जय जो नवल का बेस्ट फ्रेंड था, वो जय जो निहारिका का भाई था........लोगों को सच्चाई का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था। कैमरमैन ने ऋचा को इशारा किया और ऋचा ने अपना पहला सवाल किया!


“आसुना जी, इन पिछले कई दिनों में आपके पति को लेकर लोगों की अलग-अलग धारनाए रही, कोई जय अग्निहोत्री को Twilight Killer कह रहा था तो कोई अन्डरवर्ल्ड का शागिर्द!....क्या आप उन लोगों के लिए कुछ कहना चाहेंगी?” ऋचा ने यह सवाल इस तरह से पूछा था जैसे वो जय की बेगुनाही की खुद गवाह हो। 


इस इंटरव्यू को लाइव दिखाया जा रहा था, लगभग हर सरकारी कर्मचारी इस विडिओ को देख रहा था। लोग जो अपने घर में रात भर जाग रहे थे डर के मारे कि कहीं उनके घर में भी कोई बम ब्लास्ट ना हो जाए वो लोग भी इस व्यक्त यह इंटरव्यू देख रहे थे। इनमें वो लोग भी थे जो जय के खिलाफ रहे थे(राजन) और वो लोग भी थे जय का साथ दे रहे थे(वाशी पुलिस स्टेशन के कर्मचारी)। सभी आसुना के मुंह से सच सुनना चाहते थे, 


आसुना मन ही मन मुस्कुराई जैसे उसके सामने किसी ने बेवकूफी वाली बात कही हो, उसके होंठों से एक हवा निकली और उसने कहा 


“जय और मैं यहाँ पर पिछले 5 साल से रह रहे है, उस बीच ऐसा नहीं था कि हम समाज से कट कर रहे या हम नजरबंद रहे......हम तब भी इसी शहर में थे और सबके सामने थे” आसुना ने हल्की सी मुस्कुराहट बनाई रखी “विन्टर पब्लिकैशन के मालिक को लगभग हर कोई जानता था, एक बार को अगर यह बात मान ली जाए कि जय को केवल उसका परिवार जनता था तब भी लोगों के सामने विन्टर पब्लिकैशन के मालिक के रूप में जय वैसा ही था जैसा वो परिवार में था.....फिर भला लोग उसे पहचान कैसे नहीं पाए? इस बात का कोई भी पुख्ता सबूत नहीं मिला था कि जय ने ही अपने दोस्त नवल का खून किया है इसके बाद भी! इसके बाद भी सरकारी फरमान जारी हुआ जय की गिरफ़्तारी का, पुलिस तो फिर भी ठीक है पर सीबीआई को केस सौंप दिया गया! जबकि जय के खिलाफ कोई सबूत था ही नहीं, उसके बाद भी जय पर सभी ने उंगली उठाई......क्या यहीं न्याय व्यवस्था थी?............क्यों उस व्यक्त लोगों ने जय का साथ छोड़ दिया? क्यों न्याय व्यवस्था ने जय को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया और उसे सीधे इन्टेरगैशन रूम में जबरदस्ती डाल दिया गया! ये केवल मेरे नहीं बल्कि बल्कि हर उस इंसान का सवाल है जो जय के साथ खड़ा है.....यह सवाल उस अंधे कानून से है जो इतना अंधा हो गया कि उसे नागरिक और कातिल के बीच में कोई फरक समझ नहीं आया?।। मुझे सरकार से ही नहीं बल्कि हर उस एक आदमी-औरत से इस बात का जवाब चाहिए जिसने जय को दोषी समझा था!”


सभी लोग जो देख रहे थे जिन्होंने जय पर सवाल उठाए थे, उसे दोषी माना था वो सभी इस वक्त आसुना के सवाल पर सर झुकाए खड़े हुए थे क्योंकि आसुना की बात शत-प्रतिशत सही थी, भला कौन इस बात का विरोध करता कि सरकार ने जय को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया!


“आपका कहना बिल्कुल सही है, जय को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया जो कि हमारी न्याय व्यवस्था और हमारे लिए शर्म की बात है। पर आप अब तक कहाँ थी.....इस विषय में आपको तो सब कुछ पता था तो आपने यह बात पहले ही मीडिया को क्यों नहीं बताई? जब पुलिस और वकालत ने आपकी मदद नहीं की तो कम से कम आप सच्चाई तो लोगों तक पहुंचा ही सकती थी ना! आपने ऐसा क्यों नहीं किया?” अब ऋचा ने सीधे मुंह से यह टेढ़ी बात कहीं थी, उसने इस सवाल के अंदर यह बात साफ कर दी थी कि पुलिस और अदालत ने जय की बात नहीं सुनी! यह एक तरह से ऋचा का तमाचा था सरकारी न्याय व्यवस्था को.......जो आसुना भली भांति समझती थी। 


“क्यों नहीं की?” आसुना ने ठंडे दिमाग से कहा “जैसे ही जय को गिरफ्तार किया गया मैं अपने वकील के साथ ही पुलिस स्टेशन गई थी पर वहाँ पर पता चला कि खुद सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि जय को कॉस्टडी में लिया जाए और उस से पूछताछ की जाए। जब पुलिस ने उन्हें यह रिपोर्ट दी कि जय ने उन्हें बताया कि कुछ मास्क वाले लोगों ने नवल पर उसके ड्रुग के लिए हमला किया था तो कोर्ट ने यह मामला बिना अदालत में पेशी के सीबीआई को जय का केस दे दिया जहां से वो परेशान होकर भाग गया था। उसके बाद से शायद उसे उन्हीं आतंकवादियों ने कैद कर लिया था जिन्होंने नवल को मारा था ताकि जय ने उस ड्रुग का पता निकाल पाएं! तब से लेकर अब तक किसी ने भी जय को ढूँढने की कोशिश नहीं की, बल्कि सभी Twilight Killer को ही जय मान कर उसके पीछे पड़ गए थे, मैं कई बार अदालत गई और केस पर इन्वेस्टगैशन की बात की पर उन्होनें यह कहकर इस केस को नहीं लिया कि जय एक कातिल है! जय पर वो इल्जाम लगाए गए जो की सबूत लिए भी नहीं थे! मैं आप सभी से यह पूछती हूँ! कि अगर जय कातिल होता तो जब सीबीआई से छूट कर भागा था तब सीबीआई वालों को भी मार देता......पर उसने ऐसा कुछ नहीं किया और यहीं उसकी बेगुनाही का सबूत है”


आसुना का जवाब सुनकर सभी लोगों को अपनी सोच पर दुख हुआ, उनकी गलती की वजह से काफी सारी परेशानी ना केवल जय को उठानी पड़ी बल्कि जय के परिवार को भी काफी दिक्कत हुई थी। ऋचा ने पहले ही रूबी से कहा था कि वो ज्यादा समय नहीं लेगी इसलिए उसने आगे बात की,


“आपने अभी जो भी कहा वो बेशक सही है और अब मुझे लगता है कि न्यायालय और पुलिस जय को गुनहगार ना मानकर अपने आगे के फेसले लेंगे” ऋचा ने सर हिलाते हुए कहा “पर अब भी जय के खिलाफ एक सबूत है जो उसे मुश्किल में डाल सकता है, जो कि खुद पुलिस को मिला था और उस से यह बात सबसे पहले साबित हुई थी कि जय ने कत्लेआम किया था।। क्या मैं उस बारे में एक आखिरी सवाल कर सकती हूँ?”


ऋचा की बात सुनकर एक पल के लिए आसुना ने सोचा कि आखिर यह किस बारे में बात कर रही है और अगले ही पल चेहरे पर असमंजस के हल्के भाव लेकर हामी में सर हिलाया। 


“करीब 1 महीने पहले जय के सीबीआई से भागने के बाद सेक्टर 1 की एक प्राइवेट प्रॉपर्टी में बहुत बड़ा कत्लेआम हुआ था जिसमे करीब 50 लोगों को मारा गया था और जब वहाँ पर सीसी टीवी फुटेज देखि गई थी तो उसमे जय का चेहरा सामने आया था जो कि पुलिस वालों ने खुद देख कर पहचाना था, उसके बारे में आप क्या कहना चाहेंगी? क्या वो एक इत्तेफाक था या फिर......हकीकत!”


इस सवाल को सुनते ही आसुना ने तुरंत जवाब नहीं दिया वो थोड़ी हिचकिचा गई, इस सवाल के आते ही लोगों के मन में एक बार फिर जय के लिए काफी सारे सवाल आ गए पर किसी ने उन सवालों को जाहिर नहीं होने दिया। एक बार बिना पुख्ता सबूत के वो सभी जय को दोषी माँ चुके थे पर अब वो ऐसा नहीं करना चाहते थे,


तभी आसुना को जैसे कुछ याद आया और वो अपने चेहरे को सामान्य करते हुए बोली


“अभी थोड़ी देर पहले ही सीबीआई के ऑफिसर राजन नागराज का एक छोटा स साक्षात्कार उआ था जिसमे उन्होंने इस बात को कबूल किया कि जय आतंकवादियों की चपेट में था और साथ ही यह भी बताया कि Twilight किलर का चेहरा जय से मिलता जुलता है, मैने सही कहा न मिस ऋचा?”

आसुना ने मुस्कुरा कर पूछा तो ऋचा ने भी मुस्कुराकर जवाब दिया। 

“जी उन्होंने यहीं कहा था और जय पर लगाए गए आरोपों के लिए माफी भी मांगी थी”

“और यहीं बात मैं भी कहना चाहूँगी कि सीसी टीवी में बहुत साफ चेहरे नहीं आते है और ऊपर से वो रात का वक्त था जब सेक्टर 1 में कत्लेआम हुआ था। इसलिए मैं ऑफिसर राजन की बात के आधार पर और अपने भरोसे के आधार पर यह कह रही हूँ कि सेक्टर 1 में कत्ल करने वाला Twilight Killer था, मासूम लड़कियों की इज्जत और जान बचाने वाला भी Twilight Killer था और करन प्रसाद की हत्या करने वाला भी Twilight किलर था.....वो Twilight Killer था जय नहीं”


आसुना की इस बात पर लोगों के मुंह से वाह-वाही निकल रही थी, वहाँ पास में बैठे हुए हिमांशु और उसके साथियों ने भी ताली बजाई थी क्योंकि आसुना ने उन सवालों के एकदम सही जवाब दिए जो कि गलत जवाब पर जय के सबसे बड़े दुश्मन बन जाते। इस तरह उसने अपने पत्नी होने के धर्म को बहुत ही सही तरीके से निभाया था। अगर आज राजन ने वो साक्षात्कार नहीं दिया होता तो बेशक जय बहुत बड़ी मुसीबत में फंस जाता बावजूद इसके कि वो बुरी तरह से घायल था.........


“आपके समय के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आसुना जी! मुझे उम्मीद है इस के बाद आपके पट्टी के साथ न्याय जरूर होगा और सरकार को एक बड़ी सीख मिलेगी। चलिए तो इस साक्षात्कार को खत्म करते है और प्रिय दर्शकों, इस देश की जनता! अब हम मिलेंगे कल सुबह इसी विषय के साथ तब तक के लिए जय हिन्द, जय भारत!”


और इसी के साथ कैमरमैन ने थम्ब्स-अप दिखाया और इस लाइव ब्रोडकास्ट को एंड कर दिया गया। उस रात ऋचा के जाने के बाद कोई भी दूसरा चैनल अंदर नहीं आ पाया पर सभी तक आसुना की बात पहुँच गई थी। रात को ही चैनल वालों ने पुलिस को भी घेर लिया और उनसे तरह-तरह के सवाल जवाब किये गए ताकि कोई और खास जानकारी निकले पर ऐसा कुछ हुआ नहीं। 


अतुल के वहाँ पर रेशमा और निहारिका के साथ आते ही हिमांशु वहाँ से चल गया था क्योंकि उसे अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री तक जो पहुंचानी थी ताकि प्रधानमंत्री सही फैसला ले सके। क्योंकि अब जय और नवल सबसे बड़े मुद्दे नहीं थे, सबसे बड़ा मुद्दा था उन आतंकवादियों का या कह लो ‘रेड ऑक्टोपस’ की वापसी का जिसके बारे में मुंबई में हुई ये घटनाए साफ इशारा कर रहीं थी


अगला दिन यूं ही खाली बीत गया, आसुना और निहारिका अस्पताल में ही रुकी हुई थी और वहाँ पूरे प्रशासन की जान पर बन आई थी। कल रात जो इंटरव्यू हुआ था उस से सरकार की कड़ी निंदा शुरू हो गई थी, एक निर्दोष के ऊपर किये गए अत्याचार और नाइंसाफी की बात पूरे देश में आग की तरह फैल गई थी। कोर्ट इस से पहले कि कोई एक्शन लेती, प्रधानमंत्री की तरफ से एक आदेश पत्र आया कि जय अग्निहोत्री पर लगे सारे इल्जाम हटा दिए जाएँ और नवल के केस में आतंकवादियों का नाम जोड़ दिया जाए। अब प्रधामन्त्री की बात भला कौन नहीं मानता? सरकार ने लोगों से अपनी जान छुड़ाने के लिए इस बात का ऐलान कर दिया कि जय अब दोषमुक्त है और कोई भी सरकारी कार्यवाही Twilight Killer के मामले को लेकर या नवल के मामले को लेकर जय पर नहीं की जाएगी। 


सुबह 10 बजे से ही बड़े-बड़े लोग आकर आसुना और निहारिका से मिलने आए और उस से माफी मांगी गई, उसे और जय को हुई तकलीफों के कारण। इसमे मुंबई सेंट्रल के पुलिस कमिश्नर राकेश राव, सीबीआई के डायरेक्टर निर्मल चौहान और खुद CM भी शामिल थे और जय दिन भी इसी तरह की आवाजाही में निकल गया। अतुल बीच-बीच में अस्पताल आ रहा था ताकि वो हिमांशु से मिलकर कुछ बात कर सके पर हिमांशु रात से ही गायब था, निहारिका से पूछने पर उसने भी यहीं कहा कि हिमांशु किसी जरूरी काम से गया है! रेशमा वहीं अस्पताल में थी जो आसुना और निहारिका के अकेले पण को बोझ बनने से रोक रही थी। बाकी अस्पताल का काम बहुत ही आराम से चल रहा था जैसे रोज चलता है, एक बार रूबी भी आई थी डॉक्टर से जय के बारे में बात करने के लिए। शाम हुई फिर रात हुई और करीब 12 बजे के आसपास जब आसुना और निहारिका रेशमा के साथ ऑपरेशन रूम के बाहर ही कुर्सियों पर बैठे हुए थे, इतनी रात को वहाँ पर कोई काम नहीं चल रहा था हर 30 मिनट में एक नर्स आकर जय की हालत को चेक करती थी और अभी कुछ देर पहले ही नर्स अपना दौरा पूरा करके निकली थी, तभी उन्हें शांत बरामदे के पास से कुछ लोगों की सीढ़ियाँ चढ़ने की आवाज आई!......वो सभी उसी ओर देखने लगे....वहाँ से हिमांशु और उसके साथ 2 लोग और चले आ रहे थे जिन्हे देख कर अचानक ही आसुना के चेहरे पर ऐसी मुस्का आ गई जैसे किसी दोस्त से बहुत दिनों बाद मिल रही हो,


“शैली!” कहते हुए आसुना उस लड़की के पास गई और शैली ने अपनी बाहें खोल दी। आसुना और शैली ने एक दूसरे को जादू की झप्पी दी “तुम यहाँ पर कैसे? क्या तुम हिमांशु को जानती हो?”


“हाँ, हम करन की मौत से पहले ही मिले थे.....हिमांशु अगर हमारे साथ नहीं होता तो आतंकवादियों से निपटने में काफी दिक्कत हो जाती” इतना कहते हुए वो सभी कुर्सियों पर बैठ गए और शैली ने उस लड़के का परिचय करवाया “यह कोल है, मेरा दोस्त और बाडीगार्ड!”


कोल ने मुस्कुराते हुए सभी को ग्रीट किया और फिर तुरंत बाद ही शैली बोली,


“वैसे इस वक्त मैं आती तो नहीं पर बात ही कुछ ऐसी थी कि आना पड़ा” शैली की गंभीरता को देखते हुए आसुना ने उस पर पूरा ध्यान दिया “जय ने जाने अनजाने में बहुत ही खतरनाक दुश्मन बना लिए है जो बिना किसी की नजरों में आए हमारे देश में घुसपेठ भी कर सकते है और हमारे लोगों को अपनी तरफ भी कर सकते है। इसलिए मैने सोचा है कि जब तक जय पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता तब तक मैं उसे सिक्युरिटी देना चाहती हूँ”


“ओके......तुम्हारी बात से मैं सहमत हूँ। मैने भी दादी से ‘वू’ के बारे में काफी सुना था पर सामना पहली बार हुआ था, वो लोग बहुत ज्यादा खतरनाक है पर मुझे अब भी एक बात की चिंता सता रही है” आसुना की बात सुनते ही हिमांशु समझ गया कि वो किस बारे में बात कर रही है.....


“आखिर में उस जिया-जी ने कहा था कि जब अगली बार हमारी मुलाकात होगी तो दुनिया बदल चुकी होगी और जब ऐसा होगा तो वो जीतेंगे हम नहीं!” हिमांशु ने आसुना के मन में चुभने वाली बात बताई “साथ ही हमें लगता है कि उनके पास नित्या है और उसकी चिंता अब थोड़ी ज्यादा हो रही है”

हिमांशु की बात से शैली भी सहमत थी, पर हिमांशु के चेहरे पर बहुत ही सवालिया भाव था,


“तुम क्या सोच रहे ही हिमांशु?” निहारिका ने उसके चेहरे को पढ़ते ही पूछा 


“मुझे थोड़ा शक है कि......कहीं नित्या.....?”


“थड़ssssssss !” हिमांशु की बात को काटती हुई एक आवाज पूरे बरामदे में गूंज गई जो कि जय के कमरे से आई थी जैसे कोई स्टील का बर्तन जमीन पर कपड़ों के साथ गिर गया हो! इतना सुनते ही सभी उसके कमरे के अंदर भागे और जो उन्होंने देखा उस से उनकी आँखें नम हो गईं। पट्टियों से बंधा हुआ जय अपने बिस्तर से थोड़ी ही दूरी पर थोड़ा झुका हुआ खड़ा था और उन लोगों को अंदर आता देख उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ गई थी!


बिना किसी आवाज के आसुना दौड़ती हुई जय से लिपट गई, उसकी आँखों से आँसू गिर पड़े और सभी उन दोनों की इस प्यार भरी मुलाकात को देख कर बहुत खुश हो गए। आसुना कुछ बोलना तो चाहती थी पर वो कुछ बोल नहीं पा रही थी, उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। इतने मैं जय के चेहरे पर थोड़ी परेशानी का भाव आ गया 


“अब जरा छोड़ भी दो आसुना”


“नहीं अभी नहीं.....” उसके गले से रुंधी हुई आवाज आई

“अरे छोड़ दे यार वरना यहीं पर हो जाएगी” इतना सुनते ही आसुना ने उसकी तरफ देखा तो वो हाथ ही सबसे छोटी उंगली उठाया कर आसुना को दिखा रहा था और मुस्कुरा भी रहा था। 

इतना देख कर पहले आसुना की हंसी छोटी और उसके ठेक बाद इतनी जोर से पूरे कमरें में सभी के ठहाके लगे कि डॉक्टर भागते हुए उसके कमरे की ओर दौड़ पड़े, जय तब तक टॉइलेट से बाहर आ गया था। उसे सही सलामत देख कर तो डॉक्टर खुश थे पर बाकी सभी को पागलों की तरह पेट पकड़ कर हँसते हुए देख वो बड़े ही असमंजस में पद गए। जितनी देर उन्होंने जय को बिस्तर पर लिटा कर उसका चेक-अप किया उतनी देर तक वो लोग हँसते ही रहे, उनके चक्कर में वहाँ आई हुई नर्सों को भी हंसी आ गई और जाते-जाते तक वो भी हँसती हुई गईं। डॉक्टर ने कहा कि जहर का असर कुछ देर में पूरी तरह से खत्म हो जाएगा इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है.........


अब जय बिस्तर में लेटा हुआ था और गहरी साँसे ले रहा था ताकि उसे भी इन लोगों की तरह कहीं हंसी ना आ जाए, निहारिका जय के लिए दूसरे कमरे से जूस लेकर आई, जय ने बिस्तर पर टिक कर बैठते हुए बोला 


“शुक्रिया निहारिका.....तुम भी बैठ जायों वरना ये लोग कोई और काम पकड़ा देंगे” 


“हाँ, हाँ बैठ ही रही हूँ। तेरी सेवा थोड़े ही करती रहूँगी पूरे समय” मजाकिया अंदाज में कहते हुए वो भी एक स्टूल पर बैठ गई। 


“अब कैसा लग रहा है मिस्टर जय” खड़े-खड़े कोल ने मुस्कुराकर पूछा


“ऐसा लग रहा हुआ जैसे गर्म लोहे पर हथोड़ा मार गया हो, ऐसी हालत है। और तू तो बिल्कुल ही ठीक है? मुझे तो लगा था तेरी हालत भी मेरे जैसी होगी?”


“तेरे जितनी अच्छी किस्मत नहीं थी न मेरी, इसलिए अपने पैरों पर खड़ा हूँ” कोल ने सीधे मुंह कहा पर सभी जानते थे कि उन दोनों के बीच थोड़ा मजाकिया माहौल ही था। 


“अच्छा जय एक बात पूछनी थी” हिमांशु ने सभी की बात काटते हुए कहा “वैसे तो हाल चाल ही पूछना था पहले पर यह बात अभी थोड़ी ज्यादा जरूरी है”


हिमांशु की बात सुनते ही सभी को एहसास हो गया कि हिमांशु का वह सवाल क्या था?


“तुम तो नित्या को बचाने गए थे ना? पर वहाँ पर हमे नित्या नहीं मिली.....क्या रूम कुछ जानते हो?”


नित्या की बात सामने आते ही जय का चेहरा उतर गया, ऐसा लगा जैसे उसके शरीर में फिर से दर्द बढ़ गया हो। किसी को उसकी चुप्पी का कारण समझ नहीं आया, पर हिमांशु को अंदाज हो गया कि जय की इस चुप्पी का क्या कारण है, उसके बाद जय ने वह सब बताया जो वहाँ पर उसके साथ हुआ था। सभी ने ध्यान से सुना तो उन्हे बहुत दुख हुआ, साथ ही गुस्सा भी आया। उन्हे इस बात पर यकीन ही नहीं हो रहा था कि नित्या ‘रेड ऑक्टोपस’ की एक बहुत ही बड़ी एजेंट थी जो नवल से शादी करके इंडिया में रह रही थी। ऊपर से उसके धोके के कारण ही जय की यह हालत हुई थी, आसुना को इस पर बहुत गुस्सा आ गया 


“उसकी इतनी हिम्मत! न केवल उसने जय को धोके से फसाया बल्कि नवल की जिंदगी भी बर्बाद कर दी,......” आसुना गुस्से से दांत पीसती हुई बोली


“नहीं मुझे लगता है बात इतनी सी नहीं है” जय ने अपनी बात जारी रखी “असल में बात कुछ और ही थी..........”

जय के इन शब्दों ने जैसे सभी को एक दो राह पर खड़ा कर दिया...........       



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