Surjmukhi Kumari

Romance Tragedy Others

4.3  

Surjmukhi Kumari

Romance Tragedy Others

वो अजनबी कौन था

वो अजनबी कौन था

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नित्या अपने कमरे में चहल कदमी कर रही थी वह बहुत परेशान थी बार बार घड़ी की तरफ देख रही थी घड़ी में 12:00 बज चुके थे।


 उसकी छोटी बहन सो रही थी पर नित्या का मन बहुत बेचैन था बार-बार उसके मन में अलग-अलग तरह की उलझन उमड़ रही थी अचानक घर के दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई दरवाजा खटखटाने की आवाज सुनाई थी।


 उसे सुनकर नित्या और भी घबरा गई उसके माथे से पसीना छलक ने लगा पर उसने खुद को संभाला और पसीना पूछती हुई दरवाजे की तरफ जाने लगी उसने दरवाजा खोलने के लिए हाथ बढ़ाया पर थोड़ी देर में वापस खींच लिया।


उसकी बेचैनी थमने का नाम ही नहीं ले रही थी उसने दरवाजा खोलने से पहले एक बार खिड़की के बाहर झांकने की कोशिश की पर बाहर उसे कोई नहीं दिखा पर बाहर से कोई बार-बार दरवाजा खटखटा रहा था नित्या के मन में छोटी सी जिज्ञासा ऊंची शायद कहीं दरवाजे पर उसकी माता-पिता तो नहीं उसने दरवाजा खोलती हुई कहा मम्मी पापा आ गए पर दरवाजा खुलते ही उसके होश उड़ गए दरवाजा के सामने एक कुर्सी पर मुन्ना बैठा था उसके दाएं बाएं उसके चार आदमी खड़े थे।


 उसे देखकर नित्या बहुत डर गई क्योंकि मुन्ना बहुत ही बदमाश और गुंडा किस्म का लड़का था उसका नित्या के पिता के साथ कुछ रंजिशें थी मुन्ना बेहद जलील नजरों से नित्या को देख रहा था नित्या ने घबराती हुए कहा इतनी रात को आप यहां क्या कर रहे हैं।

क्यों आए हैं आप यहां मुन्ना ने मुस्कुराते हुए कहा तुमसे कुछ खास बात करनी थी तुम्हारे माता-पिता तो कभी बात करने नहीं देती तुम्हें हमेशा छुपा के रखते हैं।


 इसीलिए दूर किया है तुमसे बात करने के लिए नित्या ने हैरान होकर पूछा क्यों क्या किया आपने मुन्ना ने जवाब दिया ज्यादा कुछ नहीं उन्हें घर से दूर कर दिया तुमसे दूर कर दिया शाम को जो तुम्हारे घर में फोन आया था वह मैंने ही करवाए थे तुम्हारी दादी को कोई हाथ टाइट नहीं आया ना ही वह हॉस्पिटल में है वह तो मेरी आदमियों ने झूठ कहा था ताकि तुम्हारे माता-पिता तुम्हें छोड़कर हॉस्पिटल चले जाएं और मैं तुमसे कुछ बातें कर सकूं यह सुनकर नित्या बहुत डर गई उसने कहा क्या बातें करनी है आपको से हमें कोई बात नहीं करनी आप जाइए यहां से वरना मुन्ना ने मुस्कुराते हुए कहा,, वरना क्या नहीं जाएंगे हम यहां से क्या कर लोगी तुम नित्या नी जल्दी से दरवाजा बंद करने की कोशिश की पर मुन्ना के आदमियों ने उसे दरवाजा बंद करने नहीं दिया और रोक दिया नित्या का हाथ पकड़ कि उसे बाहर खींच लाए उसी वक्त नित्या की छोटी बहन जाग गई और वह भी बाहर आई इसलिए बाहर आकर कहा दीदी आप क्या कर रही हैं नित्या ने सहमति हुए कहा छोटी तुम बाहर मत निकलो जाओ अंदर मुन्ना ने कहा,, रहने दो छोटी है।


 मैं भी तो बात करूं इससे नित्य ने फिर अपनी छोटी को डांटा छोटी तुम अंदर जाती हो या नहीं बहन की आज्ञा का पालन करते हुए उसकी छोटी अंदर चली गई फिर नित्या ने कहा हमें आप लोगों ने ऐसे क्यों पकड़ रखा है जाने दो हमें, हम कहते हैं।


छोड़ो हमें मुन्ना ने हंसते हुए कहा ऐसे कैसे छोड़ दे आपको कितने दिनों बाद तो आप मिली है ऐसी अकेली है।


 आज तो आपको हमारे हाथ से कोई नहीं बचा सकता मैंने कहा था तुम्हारे पापा से कि मेरी बातों को मान ले मुझ से उलझने की गलती ना करें पर वह है।


 की बात समझने को राजी ही नहीं मेरे खिलाफ जाना चाहते हैं सबक तूने सिखाना ही होगा जब मैंने तुम्हारा हाथ मांगा मुझे इंकार कर दिया उसकी भी सजा तो मिलनी ही चाहिए इसलिए अब उन्हें समझ में आएगा कि मुन्ना से उलझने का क्या अंजाम होता है।


इतना कहकर मुन्ना नित्या की तरफ बढ़ने लगा पर नित्या का हाथ पकड़कर मरोड़ हुए कहा, आज मैं तुझे नहीं छोडूंगा नित्या ने डरती हुई कहा आप यह सब ठीक नहीं कर रही मुझे जाने दो छोड़ दो मुझे वरना पापा आप को छोड़ेंगे नहीं मुन्ना नी फिर हंसते हुए कहा वह जब तक आएंगे तब तक मैं यहां से जा चुका हूंगा आखिर वह मेरा क्या कर लेंगे चलो मेरे साथ कहकर मुन्ना नित्या को खींचते हुए अपने साथ लेकर जाने लगा तभी वहां किसी अजनबी की दस्तक हूं बाइक में सवार सर में हेलमेट पहने एक लड़का वहां आया उसने पूछा रंजन शुक्ला यहीं रहते हैं उस अजनबी को देखकर नित्या को जरा सी राहत मिली नित्य नहीं देखते हुए कहा जी हां यही रंजन शुक्ला का घर है लेकिन क्या आप हमारी मदद कर सकते हैं देखिए ना हम यह लोग परेशान कर रहे हैं नित्या ने मासूम भरी आवाज में कहा अजनबी नहीं कहा डोंट वरी आप अंदर जाइए नित्या ने कहा कैसे जाऊं कब से छूटने की कोशिश कर रही हूं।


यह लोग मुझे छोड़ नहीं रहे फिर उस अजनबी ने मुन्ना के आदमियों से कहा आप लोग छोड़ दो उन्हें जाने दो वरना अच्छा नहीं होगा तुम लोगों के लिए फिर मुन्ना की आदमियों ने आक्रोश में आकर कहा,, तू कौन है बे लड़के हमें रोकने चला है।


चला जा चुपचाप यहां से हमारे रास्ते में आने की कोशिश मत कर अजनबी ने उनकी तरफ बढ़ते हुए कहा मैं कौन हूं यह जाने की तुम्हारी औकात नहीं है बस जो कह रहा हूं चुपचाप सुनो छोड़ दो उन्हें फिर मुन्ना के आदमियों ने उस अजनबी की बात नहीं मानी तो उस अजनबी ने मुन्ना के एक आदमी को जोरदार तमाचा खींचकर मारा और कहा अब समझ में आ गया हो तो छोड़ दो।


इस अजनबी की हिम्मत को देखकर नित्या में भी जरा सी हिम्मत आ गई उसने मुन्ना के आदमियों से अपना जबरदस्ती हाथ छुड़ाया और कमरे के अंदर भाग गई और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया और दरवाजे से ही लिपटकर जोर जोर से सांस लेने लगी फिर उस अजनबी ने भी आगे बढ़कर दरवाजा बाहर से बंद कर दिया वही दरवाजे की किनारे एक ताला लटका था।


 उसने वह ताला दरवाजे में लगा दिया और दरवाजा के सामने खड़ा होकर कहा, जिसे अपनी जान प्यारी नहीं है वह आगे आए इतना सुनकर मुन्ना की आदमियों में भी जो जाग उठा उन्होंने बिना देर किए अजनबी पर हमला कर दिया उसे मारने की कोशिश करने लगे पर अजनबी भी बहुत कुर्ती में था उसने मुन्ना के आदमियों के हर बार का जवाब अपने खतरनाक वार से दिया आखिर में मुन्ना ने भी अपनी ताकत आजमाने की कोशिश की अजनबी को थप्पड़ मारना चाहा पर अजनबी नहीं उसे एक लात दो थप्पड़ जड़ दिए और मुन्ना का कॉलर पकड़कर उसे घसीटते हुए उससे कहा खबरदार अगर दोबारा नित्या की तरफ आंख उठाकर देखा तो तुम्हारी जिसमें एक बूंद खून नहीं छोडूंगा जिंदा रहने के लिए आज छोड़ रहा हूं चले जाओ यहां से दूर इतना कहकर मारते पीटते सब का विदा कर दिया और उनके जाने के बाद खिड़की के पास खड़े होकर नित्या से कहा, अब आप चिंता मत करिए वह लोग जा चुके हैं।


दोबारा आपको परेशान नहीं करेंगे यह रही चाबी आपके माता-पिता आए तो उन्हें देकर खुलवा लीजिएगा दरवाजा तब तक आप इसी तरह बंद रहे इतना कहकर वो अजनबी फिरकी के अंदर हाथ डाल कर नित्या को चाबी देने लगा पर नित्या बहुत डरी सहमी सी थी उसके हाथ काट रहे थे चाबी लेते हुए उसकी नजर तो सिर्फ उस अजनबी के हाथ पर थे क्योंकि उस अजनबी के हाथ में बहुत ही खूबसूरत ओम लिखा हुआ था ओम शब्द को पढ़कर नित्या के शरीर में जरा सी उर्जा आया और इतनी हिम्मत दिखाते हुए उस अजनबी के हाथ से चाबी उठा लिया और उस अजनबी ने जाति हुए कहा आपकी पिता रंजन शुक्ला से कह दीजिएगा।


 आपको इस तरह अकेले छोड़कर कहीं ना जाए हमेशा चौकन्ना और सतर्क रहें वकील है वह उनकी दुश्मनों की कमी नहीं इसलिए जरा सतर्कता जरूरी है नित्या ने कहा, आप बिल्कुल सही कह रहे हैं।


 पापा की भी कोई गलती नहीं पापा को दादी की फिक्र हो रही थी इसलिए वह दोनों उनके पास चले गए पर आप कौन हैं और इस तरह हमारी मदद करने के लिए धन्यवाद पर आप हैं कौन ?!


अजनबी ने कहा, इंतजार करिए मेरा परिचय आपको वक्त दे देगा फिलहाल सुरक्षित रहिए हैप्पी रहिए बाय गुड नाइट इतना कहकर अजनबी अपने बाइक की तरफ जाने लगा नित्य ने खिड़की के बाहर झांकने की बहुत कोशिश की अजनबी को देखने की पर अजनबी सिर्फ पीछे से दिख रहा था।


 अजनबी ने अपनी बाइक घुमाई उसमें बैठा और चला गया उस अजनबी के जाने के बाद नित्या ने चाबी को अपने सीने से लगाते हुए राहत की सांस ली और कुछ देर में उसके माता-पिता आ गए नित्या को इस तरह कमरे में बंद देखकर पहले तो वह बहुत घबरा और डर गए थे।


पर उनकी आवाज सुनकर नित्या बाहर आई और अपने माता-पिता को चाबी देते हुए सारी बातें बताइए पहले तो बोलो बहुत डर गए थे नित्या की मानी तो नित्या को अपनी बांहों में ही छुपा लिया था बार-बार उसकी खैरियत पूछ रही मां ने छोड़ा तो नित्या के पिता ने नित्या को गले लगा लिया।


 फिर उसकी मां ने गुस्सा होती हुए कहा, अरे लड़की अब बस बहुत हुई मान ले हमारी बात कर ले शादी वरना वह मुन्ना तुझे इसी तरह परेशान करता रहेगा क्यों अपनी जिद की वजह से हमारी नाक कटवाने पर तुली है।


 अब हम तेरी कोई बातें नहीं सुनने वाले पढ़ाई तू जहां जाना वहां करना आज ही तेरे लिए रिश्ता आया है हां कर ले शादी करके मेरठ से विदा ले ले चली जा लखनऊ कम से कम इस मुन्ना से तो तुझे आजादी मिलेगी हर तरफ उस कमीनी ने तुझे परेशान कर रखा है ना कॉलेज में पढ़ने देता है ना घर में चैन से रहने देता है। हर वक्त तेरा पीछा करता है। जहां से रिश्ता आया है।


वह बहुत बड़े लोग हैं उन से उलझने की गलती नहीं करेगा इसलिए अपनी सलामती चाहती है तो मान जा इस बात पर रंजन शुक्ला ने भी अपनी सहमति जताई उन्होंने कहा तुम्हारी मां बिल्कुल सही कह रही है। अब सही वक्त आ गया है।


तुम्हारा विदा लेने का कहीं ऐसा ना हो कि उस मुन्ना की दीवानगी हम सभी की जान ले ली नित्या अब दुविधा में थी आखिर अब जवाब दे तो दे क्या उसे अपनी एमबीए की पढ़ाई भी पूरी करनी थी और माता-पिता की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी निभानी थी विकट परिस्थितियों में उलझ कर चिंता में डूबी हुई थी।


 फिर उसने अपने माता-पिता से 2 दिन का वक्त मांगा जवाब देने के लिए अपने जीवन की उलझन ओं के अलावा नित्या के दिल में एक और उलझन थी जो उसे बार-बार परेशान कर रही थी।


 वह यह कि आखिर वह अजनबी था कौन जिसने इस तरह की मदद की और बिना अपना नाम पता बताएं चला गया अजनबी की कुछ बातों ने नित्या के दिल में अपने लिए जगह ही बना ली थी जिसे नित्य चाह कर भी भुला नहीं पा रही थी पर माता-पिता की आज्ञा का भी पालन करना था वह उन्हें भी निराश नहीं कर सकती थी।


फिर मैं उसे अपनी इच्छाओं और अपनी आकांक्षाओं को ताक पर रखकर शादी का फैसला लेना पड़ा जिससे वह खुश बिल्कुल नहीं थी अपनी और अपने परिवार की सलामती के लिए ही उसने यह फैसला लिया था नित्या के पिता ने नित्या की शादी बहुत ही खूबसूरती और धूमधाम से करवाया जिसे रोकने की जी तोड़ कोशिश मुन्ना ने की पर उसे रोक नहीं पाया क्योंकि नित्या की शादी जिस घर आने में हो रही थी वह बहुत ही रही और नामचीन व्यक्ति थे इसलिए वहां मुन्ना की गुंडागर्दी एक नहीं चली अनीता के ससुराल वाले उसे विदा कर लखनऊ ले आए जहां शादी की सारी रस्में पूरी की गई लेकिन अब तक नित्य नहीं अपना वर नहीं देखा था उसके माता-पिता ने उसकी तस्वीरें उसे कई बार दिखानी चाहिए लेकिन तब नित्या देखना ही नहीं चाहती थी आज नीचे की पहली रात थी।


उसके ससुराल में वह पलंग में बैठे चिंता में खोई हुई थी की उसके जीवन में दो अजनबी आए एक जिसने बिना कहे उसकी मदद की दूसरा जिससे उसकी शादी हुई पर उस दिल तो उस पहले अजनबी ने हीं ले लिया।


 जिसे उसने देखा ही नहीं वह सोच रही थी कि दिल किसी से लगाए बैठी हूं और घर किसी से बचा क्या वह निभा पाई कि वह रिश्ता जो उसने बिना अपनी मर्जी से जुड़े हैं।


क्या उस पहले अजनबी का नाम अपने दिल से मिटा पाएगी वही सोच में कोई अपनी आंखों से बहते आंसू को पहुंच रही थी तभी दरवाजे पर एक दस्तक हुई नित्या ने दरवाजे की तरफ देखते हुए कहा आ गया दूसरा अजनबी उसका वर के पास आती हुई बोला लगता है।


अब तक आपको मेरा परिचय नहीं मिला उसने क्योंकि नित्या की सारी बातें सुन लिया था कोई बात नहीं है।


मैं अपना परिचय खुद देता हूं मैं नित्या का पति वंश शुक्ला इंजीनियर हूं इतना परिचय काफी है।


 या और भी बताओ इतना सुनकर नित्य की होंठों पर एकाएक मुस्कुराहट आने लगी उसे यह आवाज नहीं सुनी सुनी सी महसूस हो रही थी घूंघट उठा कर ऊपर देखने की कोशिश तो की पर शर्म ने उसे देखने नहीं दिया फिर वंश ने कहा मेरी वजह से आपकी पढ़ाई रुक गई इसलिए आप मुझसे नाराज हैं।


शायद बट डोंट वरी आपकी पढ़ाई नहीं रुकेगी यह लीजिए आपकी एडमिशन के कुछ पेपर आप अपनी एमबीए की पढ़ाई यहां भी पूरी कर सकती हैं।


आपको कोई नहीं रोकेगा मैं हूं आपके साथ आप अपनी पढ़ाई यहां भी उसी तरह पूरी कीजिए जैसे अपने घर में किया करते थे अच्छा तो हम फ्रेंड है ना इतना कहते हुए वंश ने नित्या की तरफ हाथ आगे बढ़ाया तब नित्या की नजर वंश की हाथों पर गई उसने देखा वंश के हाथों में भी वही ओम लिखा है।


जो उस अजनबी के हाथों में लिखा था अब नित्या अपनी खुशियों को बिल्कुल नहीं संभाल पा रही थी वह तुरंत पलंग से उठी और वंश से जाकर लिपट गई और वंश पर गुस्सा करने लगी बदमाश पहले नहीं बता सकते थे।


 कि जिस अजनबी से मैं प्यार करने लगी हूं किसी से मेरी शादी हुई है जानते हो मैं कितना दुखी थी अपनी ही शादी में अनजानी बनी बैठी थी वंश ने भी नित्या को अपनी बांहों में कसते हुए कहा, अच्छा पहले बता देता तो आपकी दिल की बात आप जैसे थोड़ी ना बताती मैं भी आपसे बहुत प्यार करता हूं पर मैं पहले आपकी दिल की बात जानना चाहता था जब आप उस होटल में अपनी फ्रेंड को अपनी परेशानियां बता रही थी पर मुझसे आपकी यह सारी परेशानियां देखी नहीं गई और पहले मैंने आपके पिता के पास अपना रिश्ता भी जाना और दूसरा मुझे जब पता चला कि मुन्ना आपको फिर परेशान करने आ रहा है।


 तो आपकी मदद के लिए आ गया आप चिंता मत करिए अब वह आपको बिल्कुल परेशान नहीं करेगा लेकिन।


 हां मैं तो आपको रोज रोज परेशान करूंगा इतना कहकर वंश जोर जोर से हंसने लगा नित्या उसकी बांहों में सिमटी थी वह भी हंस रही थी और यहां से अजनबी बन गया अपना सा हैप्पी एंडिंग।  


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