वक़्त और लफ्जों के खेल वक़्त और लफ्जों के खेल
बचपन की वो नादानी जो हम किसी भी लड़की से बात करते थे आज तो डर लगता है बचपन की वो नादानी जो हम किसी भी लड़की से बात करते थे आज तो डर लगता है
नए ज़माने में रिश्तों में काफी सकारात्मक बदलाव आयें हैं, दामाद घर के बेटे जैसे काम करते हैं, बेटियों ... नए ज़माने में रिश्तों में काफी सकारात्मक बदलाव आयें हैं, दामाद घर के बेटे जैसे का...
रुकिए जरा महात्मा बुद्ध वाला शांति नहीं सुट्टा बाजारवाला शांति और देवदास। .... रुकिए जरा महात्मा बुद्ध वाला शांति नहीं सुट्टा बाजारवाला शांति और देवदास। ....
विवाह के बाद यदि मुझसे फीड बैक माँगा जायेगा तो मैं ऐसे विवाह को एक नम्बर भी नहीं दूँगा विवाह के बाद यदि मुझसे फीड बैक माँगा जायेगा तो मैं ऐसे विवाह को एक नम्बर भी नही...
“ इसलिए तो आजकल मैं आत्मचिंतन ज्यादा करती हूँ।” और वो मुस्कुरा दी। “ इसलिए तो आजकल मैं आत्मचिंतन ज्यादा करती हूँ।” और वो मुस्कुरा दी।