एक चेहरा ही काफ़ी है
एक चेहरा ही काफ़ी है
देखने के लिए पूरी कायनात भी कम है ,
मगर चाहने के लिए एक चेहरा ही काफी है ।
महफ़िल तो सज जाएगी खुशियों की ,
मगर एक चेहरे के बिना बाकी सब अधूरी और बेबाकी है ।
नज़ारा तो न्यारी है इस दुनिया की ,
मगर उस नटखट परी के बिना सब नाकाफ़ी है।
चाहने के लिए एक चेहरा ही काफी है ।
शरारत तो मैं भी करता हूँ शराफत की ,
मगर उस शरारती का सहारा मिले बिना बाकी सब बेरूखी है ।
परियाँ तो सपनों में सभी की आती होंगी !
मगर हकीक़त की परी के आगे बाकी सब फीकी और नाकाफ़ी है ।
दुनिया की नज़रों में होंगी कई खुबसूरत परियाँ !
मगर मेरे लिए इस आसमाँ की परी के आगे यूं ही व्यर्थ की झाँकी है ।
चाहने के लिए एक चेहरा ही काफी है ।
देखने के लिए यूं तो पूरी कायनात भी कम पड़ जाएगी ।
मगर मेरी इस दुनिया की महफ़िल में मौजूदगी के लिए वो मुस्कुराहट ही काफ़ी है ।
चाहने के लिए एक चेहरा ही काफ़ी है।