नशीली रात में
नशीली रात में
नशीली रात में जब तुमने मुझको संवारा है
बहरो। ने भी उमंगो को उभारा है।
आ तो गये थे तुम मिलने एहतिमाम न करा था
हमारी मुख़्तसर वस्ल ने बहारो को निखारा है।
दरख्तों को आँधियों ने ही उखारा है
तुम्हारे दीद ने दरख्तों को संवारा है ।
मकता
एक कमी को किया तुमने पुरा है
"नीरव" को तुमने ही संवारा है।