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Vivek Madhukar

Abstract

4.9  

Vivek Madhukar

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यमराज से मुलाकात

यमराज से मुलाकात

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रात में किसी ने दरवाज़ा खटखटाया

नींद में था, खोला

तो

साक्षात यमराज को खड़ा पाया.


दिल हुआ बाग़-बाग़

किया तत्काल दण्डवत प्रणाम

कहा – देव, धन्यभाग हमारे

जो आप स्वयं इस गरीब के द्वार पधारे.


करते-करते प्रतीक्षा आपकी

थक गयी थीं आँखें हमारी

कितना यत्न किया, कितनी तपस्या

फिर भी प्रभो

सुनी न आपने मिन्नत हमारी.


हुए हैं आज ईश आप

मुझपर मेहरबान

हो जाएगा अब मेरा भी

दुखों से त्राण

हे कृपानिधान !


रोज जलाता था धूप-बत्ती

आपकी तस्वीर के आगे

लगता है इसलिए आज

मेरे भाग्य हैं जागे.


प्रभु ने कहा – वत्स, मिला न मुझे

भक्त तेरे जैसा पहले कभी

जो कुछ है माँगना, माँग ले

मुझसे आज और अभी.


मैंने कहा – नाथ, माँगना-वांगना तो होता रहेगा

पहले ले तो चलो मुझे अपने धाम

स्नेहरस बरसाते हुए बोले वे – अभी आया

नहीं अग्रिम पंक्ति में तुम्हारा नाम

अभी करने हैं तुझे कई काम

सुधारना है समाज को, करना है

देश का उद्धार

पर देव ये तो समाजसेवी नेताओं का है

काम, उनका है इस क्षेत्र पर एकाधिकार.


बेटा इसलिए तो आया हूँ करने

एक नेता का उद्धार

और पृथ्वी का कम करने को भार.


मैंने जिद्द ठानी – हे भक्तवत्सल

छोडूंगा न आपके पाँव

ले चलना है तो ले चलो

मुझे अपने ही ठाँव.


बेटा ये नेता ही बने हुए

हैं धरती पर बोझ

तू कमसे कम अपनी इस

माँ की तो सोच

जिद्द न कर

जान ही देनी है

तो

अपने देश

अपनी मातृभूमि के लिए मर.


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